वैदिक प्रवचन हिन्दी पुस्तक | Vedic Pravachan Hindi Book PDF


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वैदिक प्रवचन हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Vedic Pravachan Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : वैदिक प्रवचन | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : सुरेश चंद्र वेदालंकर | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : आर्य प्रकाशन, दिल्ली | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 145 MB है | इस पुस्तक में कुल 310 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "वैदिक प्रवचन" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Vedic Pravachan | This book is written/edited by : Suresh Chandra Vedalankar | This book is published by : Arya Prakashan, Delhi | PDF file of this book is of size 145 MB approximately. This book has a total of 310 pages. Download link of the book "Vedic Pravachan" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
सुरेश चंद्र वेदालंकारधार्मिक145 MB310



पुस्तक से : 

यह बेहद आश्चर्य की बात थी कि वहाँ के बच्चे जहाँ गायत्रीमन्त्र और वेदादि के बारेमें जान गये थे तथा अशिक्षित महिलाएँ भी शादी विवाह में गाली आदि के स्थान पर आर्यसमाज के भजन गाती थीं। प्रभात वन्दन के समय वेदमन्त्र गाये जाते थे। साप्ताहिक यज्ञमें भी लोग भाग लेने लगे थे।

 

इस ग्रन्थ का मुद्रण आरम्भ होने से पहले ही लेखक दिवंगत हो गये। उनकी सारी पाण्डुलिपि का संशोधन तथा परिवर्धनका कार्य उनकी इच्छानुसार से मैंने ही किया है। अपनी ओर से पुस्तक की भाषाको निखारा है। वेदालंकारजी अपनी इस कृति को देखते तो निश्चय ही उनको प्रसन्नता होती।

 

मैं जिनके बारे में लिख रहा हूँ उन्होंने अपने पूरे जीवन में आर्य समाजकी सेवा की है। हर क्षेत्र उन्होंने अपनी छाप छोड़ी हैं। उन्होंने लेखन कार्य भी खूब किया। अपने जीवनमें उन्होंने करीब करीब पचास ग्रन्थ लिखे। कई ग्रन्थों के तो कई-कई संस्करण छप चुके हैं। करीबन दस ग्रन्थ तो आर्य प्रकाशन ने ही छापे है।

 

 

रूस, अमेरिका समेत कई देशों ने नन्हें से खिलौने बनाकर आकाशमें भेज दिये, जो पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं। लोगो ने इन वैज्ञानिकों के गुणोंकी प्रशंसा के पुल बाँध दिये, परन्तु उस वैज्ञानिक के गुण माननेवाले कितने हैं, जिसने अनेक सूर्य, चन्द्र, तारे और नक्षत्र बनाये और आकाशमें छोड़ दिये। ये दो अरब वर्षों से भी अधिक समय से घूम रहे हैं और अभी न जाने कितने वर्षों तक घूमते ही रहेंगे।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


डाउनलोड लिंक :

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