विचार पीयूष - करपात्रीजी महाराज हिन्दी पुस्तक | Vichar Piyush - Karpatriji Maharaj Hindi Book PDF



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विचार पीयूष हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Vichar Piyush Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : विचार पीयूष | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : पूज्य श्री स्वामी करपात्रीजी महाराज | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : वेदशास्त्रानुसन्धान केंद्र श्री करपात्री धाम, वाराणसी | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 37 MB है | इस पुस्तक में कुल 774 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "विचार पीयूष" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Vichar Piyush | This book is authored/edited by : Pujya Shri Swami Karpatriji Maharaj | This book is published by : Vedshashtranushandhan Kendra Shri Karpatri Dham, Varanasi | PDF file of this book is of size 37 MB approximately. This book has a total of 774 pages. Download link of the book "Samudrik Shastra" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
 करपात्रीजी महाराजसंस्कृति, समाज, धर्म 37 MB774



पुस्तक से : 

भगवान् श्रीविश्वनाथकी कृपा से धर्मसम्राट् स्वामी श्री करपात्रीजी महाराज द्वारा लिखित विचार पीयूष आपके हाथोंमें समर्पित करते हुए हम परम संतोष का अनुभव कर रहे हैं। धर्मसम्राट्के साहित्य के प्रेमी पाठक काफी समय से इसकी मांग कर रहे थे। वास्तवमें यह ग्रन्थ धर्मसम्राट् के अमूल्य विचारों की निधि है।

 

ईशापूर्व चन्द्रगुप्तकी राजसभा में मेंगस्थनीज नामक विदेशी यात्री आया था। उसने अपनी यात्रा का वृत्तान्त लिखा है। उसके अंश परवर्ती द्रावो अरियन की पुस्तकोंमें उद्धृत है। मेगस्थनीज ने लिखा है कि भारत एक विराट देश है। यहाँ विभिन्न जातियाँ रहती हैं। यहाँ कोई भी मूलतः वैदेशिक वंशोत्पन्न नहीं है। सभी यहाँ के मूल निवासी हैं।

 

आजकल तो विकासशील और विकसित सभी राष्ट्र वनस्पतियों, पशु-पक्षी, जलचर आदिकी प्रजातियों के संरक्षण में लगे हुए हैं। फिर क्यों हमारी सरकार और सुधारवादी केवल भारतवर्ष में पाये जाने वाली दुर्लभ मानव प्रजातियोंको नष्ट करना चाहते हैं। जबकि हम सब लोग आदिकाल से प्रेमपूर्वक साथ-साथ रहते आ रहे हैं। यहाँ वर्णसंघर्ष का कोई इतिहास नहीं रहा है।

 

 

सर्वभूतहृदय सद्गुरुदेव धर्मसम्राट् पूज्यपाद अनन्त श्री हरिहरानन्द सरस्वती करपात्रीजी द्वारा विरचित विचारपीयूष वैदिक वाङ्मयमें सन्निहित धर्म, अध्यात्म और राजधर्मसंज्ञक राजनीति का दार्शनिक, वैज्ञानिक और व्यावहारिक धरातल पर विवेचन करनेवाला तथा उसके अधिकांश विरुद्ध अथवा सर्वथा विरुद्ध विचारों का शोधन करनेवाला अद्भुत ग्रन्थ है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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