वृद्ध - वसिष्ठ संहिता हिन्दी पुस्तक | Vriddha Vasishtha Samhita Hindi Book PDF


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वृद्ध - वसिष्ठ संहिता हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Vriddha Vasishtha Samhita Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : वृद्ध - वसिष्ठ संहिता | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : डॉ. चंद्रमौली रैना | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : चौखंबा कृष्णदास अकादमी, वाराणसी | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 54 MB है | इस पुस्तक में कुल 362 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "वृद्ध - वसिष्ठ संहिता" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Vriddha Vasishtha Samhita | This book is written/edited by : Dr. Chandramauli Raina | This book is published by : Chaukhamba Krishnadas Akadami, Varanasi | PDF file of this book is of size 54 MB approximately. This book has a total of 362 pages. Download link of the book "Vriddha Vasishtha Samhita" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
डॉ. चंद्रमौली रैनाधार्मिक54 MB362



पुस्तक से : 

इन विषयों के आधार पर इस ग्रन्थकी व्यावहारिक उपयोगिता सिद्ध हो जाती है। किसी भी पाण्डुलिपिकी कई प्रतियों की समीक्षा कर पाठ निर्धारण करना, पाठान्तरों को श्लोकानुसार सुलभ कराना अपने आपमें एक महत्वपूर्ण तथा चुनौती भरा कार्य है।

 

प्राणियों के पारमार्थिक समस्त कार्य काल के अधीन हैं और काल जेतिषशास्त्रके अधीन है। कालकी विवेचना प्रायः सभी शास्त्रोंमें उपलब्ध है किन्तु ज्योतिष शास्त्र काल की विशेष विवेचना करता है इसी कारण से कालका पर्याय ही बन गया है। काल के वशीभूत होकर ब्रह्मा सृष्टि रचते हैं।

 

मैंने रघुनाथ ग्रन्थालय के पाण्डुलिपि संग्रह में गर्ग संहिता ढूँढनेका बहुत प्रयास किया था। वह मिली तो नही लेकिन उसी दौरान मुझे कश्यपसंहिता तथा वृद्धवसिष्ठ संहिताकी एक प्रति मिली। फिर मैंने सोचा इन ग्रन्थोंको प्रकाश में लाने का उत्तम मार्ग यही होगा कि इन ग्रन्थों पर शोध कार्य दो छात्रोंको सौप दिया जाय।

 

 

संहिता विभाग ज्योतिष शास्त्र का एक प्रधान अंग है और इसका बड़ा महत्त्व है। संहिता भाग सार्वभौम है। संहिता स्कन्ध में सिद्धान्त और फलितका समावेश है। गणित एवं फलित के मिश्रत रूपका अथवा ज्योतिष शास्त्र के सभी पक्षों पर जिसमें विचार किया जाता है उसे ही संहिता शास्त्र कहा जाता हैं। संहिता शास्त्रमें प्रधानता से ग्रहों, आकाशीय उत्पातों के लक्षण और उनके परिणाम इत्यादि विषयोंका समावेश है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


डाउनलोड लिंक :

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