यजुर्वेद हिन्दी ग्रन्थ पीडीऍफ़ | Yajurved Hindi Book PDF

  

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यजुर्वेद हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Yajurved Hindi Book



इस ग्रन्थ का नाम है : यजुर्वेद | इस ग्रन्थ के संपादक हैं : डॉ रेखा व्यास | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : संस्कृत साहित्य प्रकाशन | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 4 MB है | इस पुस्तक में कुल 421 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "यजुर्वेद" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Yajurved | Editor of this book is : Dr Rekha Vyas | This book is published by : Sanskrit Sahitya Prakashan | PDF file of this book is of size 4 MB approximately. This book has a total of 421 pages. Download link of the book "Yajurved" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
डॉ रेखा व्यासधर्म, वेद4 MB421



पुस्तक से : 

सामान्यतया द्वितीय वेद के रूप में प्रसिद्ध यजुर्वेदकी रचना ऋग्वेदीय ऋचाओंके मिश्रण से हुई मानी जाती है, क्योंकि ऋग्वेदके ६६३ मंत्र यथावत यजुर्वेदमें भी प्राप्त होते हैं. फिर भी यह नहीं कहा जा सकता है कि दोनों एक ही ग्रंथ हैं. ऋग्वेदके मंत्र पद्यात्मक हैं, जबकि यजुर्वेदके गद्यात्मक-'गद्यात्मको यजुः'. साथ ही अनेक मंत्र ऋग्वेदसे भिन्न भी हैं.

 

अतः यजुर्वेदके प्रस्तुत अनुवादमें आचार्य उवट के अनुवाद को ही आधार बनाया गया है. इसमें प्राय: उन्हीं अर्थों को अपनाया गया है, जो उवट को अभीष्ट थे. अनुवादकी भाषा सरल एवं सुबोध रखने का प्रयास किया गया है, ताकि साधारण पाठक भी विषयको आसानी से समझ सकें.

 

यूं तो यजुर्वेद की 101 शाखाएं बताई जाती हैं, किंतु मुख्यतयाः दो शाखाएं ही अधिक प्रसिद्ध हैं- कृष्ण यजुर्वेद और शुक्ल यजुर्वेद. इन्हें क्रमशः तैत्तिरीय एवं वाजसनेयी संहिताएं भी कहा जाता है. इनमें से तैत्तिरीय संहिता अपेक्षाकृत अधिक पुरानी मानी जाती है, वैसे दोनों में प्रायः एक ही सामग्री है. हां, उनके क्रममें कुछ अंतर है.

 

 

वस्तुतः यजुर्वेद एक पद्धति ग्रंथ है, जो पौरोहित्य प्रणाली में यज्ञादि कर्म संपन्न कराने के लिए संकलित हुआ था. इसीलिए आज भी विभिन्न संस्कारों एवं यज्ञीय कर्मों के अधिकांश मंत्र यजुर्वेदके ही होते हैं. यज्ञादि कर्मोंसे संबंधित होने के कारण यजुर्वेद अपेक्षाकृत अधिक जनप्रिय रहा है.

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


डाउनलोड लिंक :

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