ययाति - विष्णु सखाराम खांडेकर हिन्दी पुस्तक | Yayati - Vishnu Sakharam Khandekar Hindi Book PDF


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ययाति हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Yayati Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : ययाति | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : विष्णु सखाराम खांडेकर | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : राजपाल एंड सन्ज, दिल्ली | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 3 MB है | इस पुस्तक में कुल 322 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "ययाति" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Yayati | This book is written by : Vishnu Sakharam Khandekar | This book is published by : Rajpal And Sons, Delhi | PDF file of this book is of size 3 MB approximately. This book has a total of 322 pages. Download link of the book "Yayati" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
विष्णु सखाराम खांडेकरउपन्यास3 MB322



पुस्तक से : 

मेरे पूर्ववर्ति लोगो ने काव्य, विनोद, समीक्षा और नाटक लिखने में बहुत प्रसिद्धि प्राप्त की थी। मैं भी साहित्यकी इन्हीं विधाओं में अपनी कलम की शक्ति आजमाना चाह रहा था। तब मै जान नहीं पाया था कि अनुसरण आत्महत्याका ही दूसरा नाम है।

 

भावुक मन के लिए यह देखते रहना कठिन हो गया था कि समाज में अमीर लोग मनमानी मौज उड़ा रहे हैं जबकि गरीब लोग मँहगाई में झुलसने से बचने के लिए छटपटाहट कर रहे है। भारतीय समाज के कल्पनाओं में पूर्ण श्रद्धा रखकर ही अनेक नैतिक बंधन स्वीकार किए थे।

 

कहानी और उपन्यास किसी भी दृष्टि से अभिव्यक्ति के भिन्न माध्यम अवश्य हैं, लेकिन फिर भी उनमें एक आन्तरिक नाता अवश्य है। प्रत्येक कहानीकार उपन्यासकार नहीं बनता। किन्तु अभिव्यक्ति के अन्य माध्यमोंकी अपेक्षा उपन्यास लिखना अधिक आसान प्रतीत होता है।

 

 

पुराणकथा भी समाजपुरुष के रक्त में कई पीढ़ियों से घुलती आई है। वीणा के तारों से जब तक कलाकारकी उंगलियों का स्पर्श नहीं होता तब तक उनकी मधुर झंकार जिस तरह मुखरित नहीं होती, उसी प्रकारसे पुराण कथाओं में समाजपुरुष के पीढ़ियों के अनुभव छुपे होते हैं। जीवन इतने संघर्षों से भरा था कि अपनी पसंद की किसी पुराण कथाकी ओर मुड़ने का विचार कभी नहीं आया।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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