अथर्ववेद हिन्दी ग्रन्थ पीडीऍफ़ | Atharva Ved Hindi Book PDF

    


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अथर्ववेद हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Atharva Ved Hindi Book



इस ग्रन्थ का नाम है : अथर्ववेद | इस ग्रन्थ के संपादक हैं : डॉ गंगा सहाय शर्मा | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : संस्कृत साहित्य प्रकाशन, नई दिल्ली | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 8 MB है | इस पुस्तक में कुल 1064 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "अथर्ववेद" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Atharva Ved | Editor of this book is : Dr Ganga Sahay Sharma | This book is published by : Sanskrit Sahitya Prakashan, New Delhi | PDF file of this book is of size 8 MB approximately. This book has a total of 1064 pages. Download link of the book "Atharva Ved" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
डॉ गंगा सहाय शर्माधर्म, वेद, अध्यात्म8 MB1064



पुस्तक से : 

अथर्ववेद की भाषा भी शेष तीन वेदों की भाषा से सरल है. इन दृष्टियों से स्पष्ट होता है कि अथर्ववेदकी रचना बाद में हुई है. वैसे यज्ञोंमें अथर्ववेद को विशेष महत्त्व प्राप्त है. यज्ञ में चार वेदोंसे संबंधित चार ऋत्विज होते हैं. उनमें प्रधान ऋत्विज् ब्रह्मा कहलाता है. वह अपनी देखरेख में यज्ञ कार्य कराता है और शेष ऋत्विजोंको निर्देश देता है.

 

आजकल तीन संहिताएं उपलब्ध हैं - पिप्लाद, मोद और शौनक. इनमें शौनक संहिता का आजकल बहुत प्रचार है. मैंने जो अनुवाद प्रस्तुत किया है, उसका आधार शौनक संहिता ही है. शौनक संहितामें २० कांड, ७३१ सूक्त तथा ५९८७ मंत्र हैं.

 

महाभाष्यके रचयिता महर्षि पतंजलि ने अथर्ववेद की 9 संहिताओं का उल्लेख किया है - नवधाऽर्थवाणोवेदः. इसका तात्पर्य यह है कि पतंजलिके समय अथर्ववेद की 9 संहिताएं उपलब्ध थीं. पतंजलि का समय 200 ईसा पूर्व से 150 ईसा पूर्व तक माना जाता है.

 

 

इन संहिताओं के नाम इस प्रकार हैं - (1) पिप्लाद, (2) स्तोद अथवा तोद, (3) मोद, (4) शौनकीय, (5) जावल, (6) जलद, (7) ब्रह्मदेव (8) देवदर्श (9) चारणवैद्य. आचार्य बलदेव प्रसाद उपाध्याय के अनुसार - अथर्ववेद का विषय विवेचन अन्य वेदों की अपेक्षा नितांत विलक्षण है.

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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