बूंद और समुद्र - अमृतलाल नागर हिन्दी पुस्तक | Boond Aur Samudra - Amritlal Nagar Hindi Book PDF


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बूंद और समुद्र हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Boond Aur Samudra Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : बूंद और समुद्र | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : अमृतलाल नागर | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : किताब महल, प्रयागराज | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 20 MB है | इस पुस्तक में कुल 380 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "बूंद और समुद्र" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Boond Aur Samudra | This book is written/edited by : Amritlal Nagar | This book is published by : Kitab Mahal, Prayagraj | PDF file of this book is of size 20 MB approximately. This book has a total of 380 pages. Download link of the book "Boond Aur Samudra" has been given further on this page from where you can download it for free.


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अमृतलाल नागरउपन्यास20 MB380



पुस्तक से : 

जगदबा सहाय की लडकी कम्युनिस्ट है, उसके यहाँ आजकल उसकी पार्टी के ड्रामा के रिहर्सल्स चल रहे है। सालिगराम आस्तीनमें सॉप पालेगा क्या? इस बार्ड के लोगों के यहाँ का राई-रती हाल उसके पास पहुंच जाता है, फिर भला दुश्मन के घरका कोई भेद उससे छूट सकता है क्या?

 

महिवाल सच ही कहता है- अपने देश के समाज को वह अजायबघर के सामानकी तरह ही देखता है। अपनापन देकर उनसे घुल-मिल नहीं सकता। मगर यह काम कोई एक दिनमें तो हो नही सकता और न उसे कभी पूरी तौर पर इस समाजमे घुलना मिलना है। हमे असस्कारो या कुसस्कारो से जूझना है, उन्हें समझना है।

 

बात पूरी करने के साथ ही सबको प्रणाम करके सज्जन जाने लगा। तभी शास्त्रीजी ने कहा "हाँ, अवश्य मिलना। मुझे बड़ी खुशी होगी। आयुष्मान् हो।" शास्त्रीजी के स्वर में सज्जनको गह्ररी आत्मीयताका स्पर्श महशूस हुआ। जाते जाते रुक्कर उसने शास्त्रीजी के चरण स्पर्श किए। मां के अलावा उसने कभी किसीके चरण नही छुये थे।

 

 

दलाल कुछ भौचक्के, कुछ कटे खड़े थे। बाबू छेदालाल दोनो घुटनोंको हाथो से बांधकर बैठे थे, उनकी पुतलियो मे जय-पराजय की पैनी काट हीरे की कनियोकी तरह चमक रही थी। बाबा गुलाबचन्द और रामसरूप के चेहरे चमक रहे थे। शास्त्रीजी ने लाले की ओर देखकर कहा- "हमने तुम्हारे उच्चारण दोष की हँसी नही उड़ाई भैया, बुरा मत मानना, पर अपने ढंग से ही सही, तुम्हारी बातमें अर्थ मिल गया।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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