बुद्ध वचन हिन्दी पुस्तक | Buddha Vachan Hindi Book PDF


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बुद्ध वचन हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Buddha Vachan Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : बुद्ध वचन | इस पुस्तक के लेखक हैं : आनन्द कौसल्यायन | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : देवप्रिय वी. ए. | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 2 MB है | इस पुस्तक में कुल 96 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "बुद्ध वचन" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Buddha Vachan | This book is written by : Anand Kausalyayan | This book is published by : Devapriya V. A. | PDF file of this book is of size 2 MB approximately. This book has a total of 96 pages. Download link of the book "Buddha Vachan" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
आनन्द कौसल्यायणप्रेरक, धार्मिक2 MB96



पुस्तक से : 

उसका उत्तर यही है कि तृष्णा होनेसे दुख होता है। यदि आप फिर यह भी जानना चाहते है कि तष्णा किसे होती है तो फिर बुद्ध का वही उत्तर है कि तुम्हारा यह प्रश्न ही गलत है कि तृष्णा किसे होती है, प्रश्न ऐसा होना चाहिये कि क्या होनेसे तृष्णा होती है।

 

स्वस्थ आदमी इन दोनोसे ही परहेज करता है। न उसे खाज होना प्रिय है और न ही खुजलाना। एक साधारण आदमी के लिए संसार के सुख वाञ्छनीय है तो वही दुख अवाञ्छनीय, अर्हत् दोनोको एक ही दृष्टि से देखता है। इन्द्रियो और मन की जिन चंचलताओ को हम मजा लेना कहते है।

 

यदि कोई ये कहे कि मैं तब तक भगवान् बुद्धके बताए गए मार्ग पर नही चलूँगा, जब तक कि भगवान् मुझे यह न बतादे कि ससार शाश्वत है, या फिर अशाश्वत, ससार सान्त है अथवा अनन्त, जीव वही है जो शरीर है या फिर जीव दूसरा है और शरीर दूसरा है। मृत्यु के बाद तथागत रहते है या मृत्यु के बाद तथागत नही रहते है।

 

 

इतने अर्से मे उसमे मिलावट की सम्भावना है। हो सकता है, लेकिन फिर त्रिपिटक पर किस साहित्यको ज्यादा तरजीह दिया जाए। यदि यह मान भी लिया जाये कि बुद्ध की अपनी शिक्षाओ के साथ त्रिपिटक मे कुछ ऐसी दूसरी शिक्षाये भी दृष्टिगोचर होती है जिनकी सगति बुद्धकी शिक्षाओं से आसानी से नही मिलाई जा सकती, तो फिर हम बुद्ध की शिक्षाओ के लिए त्रिपिटक को त्याग कर और किस दूसरे साहित्यको वरीयता दे?

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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