धर्म स्वरूप निर्णय पुस्तक पीडीएफ | Dharma Svaroop Nirnaya Sanskrit Book PDF


Dharma-Svaroop-Nirnaya-Sanskrit-Book-PDF


धर्म स्वरूप निर्णय संस्कृत पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Dharma Svaroop Nirnaya Sanskrit Book



इस पुस्तक का नाम है : धर्म स्वरूप निर्णय | इस पुस्तक के लेखक हैं : पंडित तर्कतीर्थ रघुनाथ शास्त्री | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 24 MB है | इस पुस्तक में कुल 396 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "धर्म स्वरूप निर्णय" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Dharma Svaroop Nirnaya | This book is written by : Pandit Tarkteerth Raghunath Shastri | This book is published by : Unknown | PDF file of this book is of size 24 MB approximately. This book has a total of 396 pages. Download link of the book "Dharma Svaroop Nirnaya" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
पं. रघुनाथ शास्त्रीधार्मिक24 MB396



पुस्तक से : 

समागम्य उदित आदित्ये सौर्याणि स्वस्त्ययनानि च जपेयुः। सूर्यो नो दिवः। उदु जातवेदसमिति नव। चित्रं देवानां। नमो इत्येतेषां सौर्यसंज्ञा कृता । स्वस्ति शब्दवन्ति स्वस्तयनानि आनो भद्राः। स्वस्ति नो मिमीतां। परावतो ये दिधिषन्त आय्य मित्येतानि।

 

असत्रग्रहणे प्रधानानन्तरमुच्यमानत्वात्मधानानन्तरं स्विष्टकृन्न भवतीयर्थ:। अन्ते च स्यादेव। ननु प्रधानानन्तरं स्विष्टकृत: माप्तिरेव नास्ति । तथाहि । एताभ्यो देवताभ्यो हुत्वा सौविष्टकृतं हुत्वा सौविष्टकृतं हुत्वेत्येतदपार्थकम्। प्रधानानन्तरं स्विष्टकृत प्रकृतित: माप्तत्वात्।

 

गोदोहने चर्मपुटे च तोयं यन्त्राकरे कारुक शिल्पिहस्ते। स्त्रीबाल वृद्धाचरितानि यान्य प्रत्यक्षदृष्टानि शुचीनि। प्राकाररोधे विषमप्रदेशे सेनानिवेशे भवनस्य दाहे। अवास्ययज्ञेषु महोत्सवेषु तेष्वेव दोषा विकल्पनीयाः। प्रपास्वरण्ये घटकस्य कूपेद्रोण्यां जलं कोशविनिर्गतं च।

 

 

रघुनाथेन कैवल्यधाम विश्रान्तचेतसा। श्रुतिस्मृति निबन्धानां तत्त्त्र संशोध्य यत्नतः। धर्मस्वरूपं निर्णीय स्थाप्यते विदुषां करे। व्यासोच्छिष्टं जगत्सर्व यदिकि नूतनं भवेत्। वचोविन्यास वैचित्र्यमात्रमत्र विचार्यताम्। मन्थे स्मिन्सम्मतिर्येषां न तेषामस्ति वाच्यता। खण्डनैकधुरणास्तु शृण्वन्तु लोकममिमम्।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


डाउनलोड लिंक :

"धर्म स्वरूप निर्णय" संस्कृत पुस्तक को सीधे एक क्लिक में मुफ्त डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें |

To download "Dharma Svaroop Nirnaya" Sanskrit book in just single click for free, simply click on the download button provided below.


Download PDF (24 MB)


If you like the book, we recommend you to buy it from the original publisher/owner.



यदि इस पुस्तक के विवरण में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से संबंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उस सम्बन्ध में हमें यहाँ सूचित कर सकते हैं।,