धातुरूप मुक्तावली पुस्तक पीडीएफ | Dhaturoop Muktavali Sanskrit Book PDF


Dhaturoop-Muktavali-Hindi-Book-PDF


धातुरूप मुक्तावली संस्कृत पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Dhaturoop Muktavali Sanskrit Book



इस पुस्तक का नाम है : धातुरूप मुक्तावली | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : पी. के. दुरसाम्यय्यंगार्येण | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 538 MB है | इस पुस्तक में कुल 296 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "धातुरूप मुक्तावली" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Dhaturoop Muktavali | This book is written/edited by : P. K. Dursamyayangaryen | This book is published by : Unknown | PDF file of this book is of size 538 MB approximately. This book has a total of 296 pages. Download link of the book "Dhaturoop Muktavali" has been given further on this page from where you can download it for free.


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पी. के. दुरसाम्यय्यंगार्येणसंस्कृत538 MB296



पुस्तक से : 

रामोयं पुरुषव्याघ्रः संवृतः कपिकुञ्जरैः। हनिष्यति बलाद्युद्धे रावणं राक्षसर्षभम्। कौमुदी विशदा भाति या वाणी रतिसुन्दरी। लतातन्वी सदा दद्यात् सा द्राक्षामुधुरां गिरम्। तमालवृक्षैरभितः संवृतो विन्ध्यपर्वतः। बम्भरैस्सकलैर्दृष्टः दूराद्गजमनीषया।

 

ब्रह्माणः कति वा रुद्राः वद त्वमिति सङ्ख्यया। कुशलश्वेदेकयोक्त्या वदेदुपदशा इति। सकलास्सहसन्तानाः सकला अपि बाडबाः। प्रोचुः स्वस्ति महीपाय सहपुत्राय सन्ततम्। बाहूबाहवि केषांचिन्मुष्टीमुष्टयद्भुतं तथा। केशा केश्यभवद्युद्धं वानराणां च रक्षसाम्।

 

णिज्विकरणे परे उपधाभूताकारस्य अन्त्यानामचाञ्च वृद्धिर्भवति। उपधाभूतानाम् अकारभिन्नानां हवाचान्तु गुणः भवति। द्वितीयभागप्रत्ययेषु परेषु अनुविकरणे उविकरणे परस्मैपदलट् लडोरेकवचनेषु लोटि प्रथमपुरुषैकवचने उत्तमपुरुषे च विकरणस्थस्य उकारस्य गुणो भवति।

 

 

श्ळुविकरणे धातोः एकाचः सार्वधातुकप्रत्ययेषु परेषु। लिट्प्रकरणे पञ्चमसूत्रप्रभृति नवमसूत्रपर्यन्तं त्रयोदशसूत्रप्रभृति षोडशसूत्रपर्यन्तं प्रोक्तसूत्राणि अत्रापि उपयुज्यन्ते । निज्, विज्, विष् सार्वधातुके अभ्यासस्य गुणः भवति। अभ्यस्तानां एतेषां त्रयाणां धातूनां लघूपधलक्षणः गुणस्तु हलादि येष्वेव भवति। पृ, पृ, ऋ, भृ, मा, एतेषां सार्वधातुके अभ्यासस्य इकार।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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