एक शाम जादूगर के साथ हिन्दी पुस्तक | Ek Sham Jadugar Ke Sath Hindi Book PDF


Ek-Sham-Jadugar-Ke-Sath-Hindi-Book-PDF


एक शाम जादूगर के साथ हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Ek Sham Jadugar Ke Sath Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : एक शाम जादूगर के साथ | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : जे. बी. एस. हैल्डेन | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : भारत ज्ञान विज्ञान समिति, नई दिल्ली | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 0.3 MB है | इस पुस्तक में कुल 14 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "एक शाम जादूगर के साथ" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Ek Sham Jadugar Ke Sath | This book is written/edited by : J. B. S. Haldane | This book is published by : Bharat Gyan Vigyan Samiti, New Delhi | PDF file of this book is of size 0.3 MB approximately. This book has a total of 14 pages. Download link of the book "Ek Sham Jadugar Ke Sath" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
जे. बी. एस. हैल्डेनकहानी0.3 MB14



पुस्तक से : 

उन्होंने अपने कानोंको थपथपाया। कोने में तांबे का जो बर्तन रखा था उसमें से कुछ निकला। मुझे ऐसा लगा कि यह एक सांप है। लेकिन जब गौर किया तो उसके छोटे-छोटे चूसक थे तो यह ऑक्टोपसकी एक भुजा थी। इस भुजा ने एक अलमारी खोली और उसमेसे एक बड़ा तौलिया निकाला।

 

मुझे ऐसा लगता है कि आप मेरे उस भोजन के बारे में जाननेको उत्सुक होंगे जो मैंने एक जादूगर के साथ किया था। ये अन्य दावतों से पूरी तरह अलग था। आमतौर पर लोग इस तरहका भोजन नहीं करते क्योंकि पहेले तो इंग्लैंड में अधिक जादूगर हैं ही नहीं और दूसरे, बहुत कम लोग ही जादूगरोंसे परिचित होते हैं।

 

उसने एक बस को देखा, उसने बचने के लिए पीछे की ओर कूदा लेकिन इसी चक्करमें वह एक कार के आगे आ गया। अगर मैंने उसका कॉलर पकड़ कर उसे खींच नहीं लिया होता तो कार ने उसे टक्कर मार दी होती। वैसे भी बरसातका मौसम था और सड़क भीगी थी। ब्रेक लगाने पर भी गाड़ी रुकी नहीं, आगे फिसल गई।

 

 

उस आदमीको विश्वास ही गया था कि मैंने ही उसका जीवन बचाया है। उसने आग्रह किया कि मैं उसके साथ खाना खाऊं। मैंने कहा कि मैं बुधवार को खाना खाने आऊंगा। तब तो मुझे उसके बारेमें कोई भी बात विचित्र नहीं लगा सिवाय इस बात के कि उसके कान बड़े थे और दोनों कानों पर बालोंका गुच्छा था। मुझे पूरा याद है कि इस समय मैंने यह सोचा कि अगर मेरे कान पर इतने बाल होते तो मैं उन्हें काट देता।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


डाउनलोड लिंक :

"एक शाम जादूगर के साथ" हिन्दी पुस्तक को सीधे एक क्लिक में मुफ्त डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें |

To download "Ek Sham Jadugar Ke Sath" Hindi book in just single click for free, simply click on the download button provided below.


Download PDF (0.3 MB)


If you like the book, we recommend you to buy it from the original publisher/owner.



यदि इस पुस्तक के विवरण में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से संबंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उस सम्बन्ध में हमें यहाँ सूचित कर सकते हैं।,