गदर के फूल - अमृतलाल नागर हिन्दी पुस्तक | Gadar Ke Phool - Amritlal Nagar Hindi Book PDF


Gadar-Ke-Phool-Amritlal-Nagar-Hindi-Book-PDF


गदर के फूल हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Gadar Ke Phool Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : गदर के फूल | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : अमृतलाल नागर | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : प्रकाशन शाखा, सूचना विभाग, उत्तर प्रदेश | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 11 MB है | इस पुस्तक में कुल 317 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "गदर के फूल" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Gadar Ke Phool | This book is written/edited by : Amritlal Nagar | This book is published by : Prakashan Shakha, Suchana Vibhag, Uttar Pradesh | PDF file of this book is of size 11 MB approximately. This book has a total of 317 pages. Download link of the book "Gadar Ke Phool" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
अमृतलाल नागरइतिहास11 MB317



पुस्तक से : 

निगमजी ने बाबा के वंशज के बारे में पूछा तो मालूम हुआ कि वे कही गये है। फिर बूढी माई से प्रश्न किया गया। उन्होंने भी बाबा के गदर या किसी सेना से लड़ने की बातको अस्वीकार किया, केवल समाधि खुदने वाली किंवदतीका ही समर्थन किया। इससे मेरे मित्रो को काफी निराशा हुई।

 

प्रेसट्रस्ट ऑफ इन्डिया के प्रतिनिधि श्री रामस्वरूप वाजपेई और हिन्दुस्तान समाचार के प्रतिनिधि श्री इन्दुप्रकाशजी भी हमारे साथ चले। इन स्थानीय सज्जनोका साथ सदा ही मेरे लिये बड़ा लाभप्रद रहा। श्री निगम ने अपने कस्बे के बारे में मे गजेटियर तथा किंवदतियो से अच्छी सामग्री संग्रहकी थी।

 

शकरपुर जिला रायबरेली के राणा वेणीमावव वख्श, राजा देवी वख्श सिंह और चहलारी के ठाकुर वलभद्र सिंह, ये तीनो व्यक्ति निश्चितरूप से स्वतंत्रता के लिये लड़े थे। इन्होंने अग्रेजो के सामने न तो हथियार ही डाले और ना ही सिर झुकाया। अट्ठारह वर्ष के नौजवान वलभद्र सिंह ने तो अनोखी वीरता दिखाई थी।

 

 

गदर के ज़माने में बाबा ने फैजाबाद से लखनऊ की तरफ आती हुई ब्रिटिश सेनाओसे अपने शिष्यों सहित कड़ा मुकाबला किया था और जूझ गये थे। बावा राम सनेही का चमत्कार बहुत प्रसिद्ध है। ऐसा कहा जाता है कि गदरके बहुत बाद अग्रेजो ने उनके समाधि स्थल के पास से सड़क गुजरने का आयोजन किया। तब बाबाकी समाधि सड़क मे ही नप जाती थी। इसीलिए उसे खोद डालने की आज्ञा दी गई।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


डाउनलोड लिंक :

"गदर के फूल - अमृतलाल नागर" हिन्दी पुस्तक को सीधे एक क्लिक में मुफ्त डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें |

To download "Gadar Ke Phool - Amritlal Nagar" Hindi book in just single click for free, simply click on the download button provided below.


Download PDF (11 MB)


If you like the book, we recommend you to buy it from the original publisher/owner.



यदि इस पुस्तक के विवरण में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से संबंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उस सम्बन्ध में हमें यहाँ सूचित कर सकते हैं।,