हिन्दी कहानियां - श्री कृष्ण लाल हिन्दी पुस्तक | Hindi Kahaniyan - Shri Krishna Lal Hindi Book PDF


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हिन्दी कहानियां हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Hindi Kahaniyan Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : हिन्दी कहानियां | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : डॉ. श्री कृष्ण लाल | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : साहित्य भवन प्राइवेट लिमिटेड, प्रयागराज | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 24 MB है | इस पुस्तक में कुल 259 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "हिन्दी कहानियां" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Hindi Kahaniyan | This book is written/edited by : Dr. Shri Krishna Lal | This book is published by : Sahitya Bhavan Private Limited, Prayagraj | PDF file of this book is of size 24 MB approximately. This book has a total of 259 pages. Download link of the book "Hindi Kahaniyan" has been given further on this page from where you can download it for free.


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डॉ. श्रीकृष्ण लालकहानी24 MB259



पुस्तक से : 

कहानियों का सम्पर्क साधारण जनताका सम्पर्क था, किसी वर्ग विशेष का नहीं। धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक तथा अन्य क्रांतियों का प्रभाव तो तत्कालीन साहित्य में मिल जाता है, परन्तु कथा-कहानियों की परम्परामें जो अद्भुत क्रांति हुई होगी वह मूक मौखिक क्रांति थी।

 

उदाहरण के लिये कुतुबन की मृगावती में राजकुमारी मृगावती उड़नेकी कला जानती थी। मधुमालती में अप्सराएँ मनोहर नामक एक सोते हुये राजकुमार को रातों-रात महारस नगरकी राजकुमारी की चित्रसारी में रख आती है। मनोहर से प्रेम होने के कारण मधुमालती की माता उसे पक्षी हो जाने का शाप देती है।

 

पुराणों में भी गोपियों और श्रीकृष्ण की रासलीला और नल-दमयंती की प्रेम कथाएँ विस्तार से वर्णित है। लोक प्रचलित कहानियों में भी राजा उदयनकी प्रेम कथाएँ चाव से सुनी जाती थीं। देखा जाए तो गुप्त काल से ही उत्तर भारतमें एक ऐसी संस्कृति का विकास हो रहा था, जिसमें प्रेम की प्रधानता थी।

 

 

साहित्य में इसका प्रभाव होने पर भी यह संभव है कि जनता में कहानियों का प्रचार हो रहा हो। श्रीनगरी में बैठ कर वृद्ध लोग राजा उदयनकी कथा कहा करते थे। इसका प्रमाण मेघदूतमें मिलता है। कालिदास ने उन कथाओंका उल्लेख नहीं किया जिससे हम उस काल की कहानियों का स्वादन पा सकते। इतना तो निश्चित है कि देश के अन्य भागों में और भी कितने उदयनों की कथा बड़े लोग अपने श्रोताओंको सुनाते होंगे।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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