कौटिल्य अर्थशास्त्र - चाणक्य रचित हिन्दी ग्रन्थ | Kautilya Arthashastra by Chanakya Hindi PDF



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संक्षिप्त कौटिल्य अर्थशास्त्र हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Sankshipt Kautilya Arthashastra Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : संक्षिप्त कौटिल्य अर्थशास्त्र | इस ग्रन्थ के लेखक/संपादक है: कौटिल्य (चाणक्य) | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : राजपाल प्रकाशन | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 2 MB है | इस पुस्तक में कुल 112 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "संक्षिप्त कौटिल्य अर्थशास्त्र" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Sankshipt Kautilya Arthashastra | Author/Editor of this book is : Kautilya (Chanakya) | This book is published by : Rajpal Prakashan | PDF file of this book is of size 2 MB approximately. This book has a total of 112 pages. Download link of the book "Sankshipt Kautilya Arthashastra" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के प्रकाशकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
राजपाल प्रकाशन अर्थशास्त्र, समाज, राजनीती2 MB112



पुस्तक से : 

इस 'अर्थशास्त्र' का विषय क्या है? जैसे ऊपर कहा गया है इसका मुख्य विषय शासन-विधि अथवा शासन-विज्ञान है: "कौटिल्येन नरेन्द्रार्थे शासनस्य विधिः कृतः।” इन शब्दोंसे स्पष्ट है कि आचार्यने इसकी रचना राजनीति-शास्त्र तथा विशेषतया शासन-प्रबन्ध की विधि के रूपमें की।

 

इस अर्थशास्त्र में एक ऐसी शासन पद्धति का विधान किया गया है जिसमें राजा या शासक प्रजाका कल्याण सम्पादन करनेके लिए शासन करता है। राजा स्वेच्छाचारी होकर शासन नहीं कर सकता। उसे मन्त्रिपरिषद् की सहायता प्राप्त करके ही प्रजा पर शासन करना होता है। राज्यपुरोहित राजा पर अंकुशके समान है, जो धर्ममार्गसे च्युत होने पर राजा का नियन्त्रण कर सकता है और उसे कर्तव्य-पालन के लिए विवश कर सकता है.

 

अर्थशास्त्रकी विषयसूची को देखनेसे (जहाँ अमात्योत्पत्ति, मन्त्राधिकार, दूत-प्रणिधि, अध्यक्ष नियुक्ति, दण्डकर्म, पाड्गुण्यसमुद्देश्य, राजराज्ययोः व्यसन-चिन्ता, बलोपादान-काल, स्कन्धावार निवेश, कूट-युद्ध मन्त्र युद्ध इत्यादि विषयों का उल्लेख है) यह सर्वथा प्रमाणित हो जाता है कि इसे आजकल कहे जाने वाले अर्थशास्त्र (इकोनोमिक्स) की पुस्तक कहना भूल है। 

 

 

जिसे आजकल अर्थशास्त्र कहा जाता है, उसके लिए वार्ता शब्द का प्रयोग किया गया है, यद्यपि यह शब्द पूर्णतया अर्थशास्त्रका द्योतक नहीं। कौटिल्यने वार्ता के तीन अंग कहे हैं— कृषि, वाणिज्य तथा पशु-पालन, जिनसे प्रायः वृत्ति या जीविका का उपार्जन किया जाता था। मनु, याज्ञवल्क्य आदि शास्त्रकारों ने भी इन तीन अंगों वाले वार्ताशास्त्रको स्वीकार किया है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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