क्यूं क्यूं लड़की हिन्दी पुस्तक | Kyoon Kyoon Ladki Hindi Book PDF


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क्यूं क्यूं लड़की हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Kyoon Kyoon Ladki Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : क्यूं क्यूं लड़की | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : महाश्वेता देवी | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 5 MB है | इस पुस्तक में कुल 25 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "क्यूं क्यूं लड़की" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Kyoon Kyoon Ladki | This book is written/edited by : Mahashweta Devi | This book is published by : Unknown | PDF file of this book is of size 5 MB approximately. This book has a total of 25 pages. Download link of the book "Kyoon Kyoon Ladki" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
महाश्वेता देवीकहानी5 MB25



पुस्तक से : 

जब मैं वापस लौटी तो सबसे पहले मैंने मोयना की आवाज़ सुनी। स्कूल बंद क्यूँ है? उसने अंदर आते ही मालती को ललकारा, साथमें एक बकरी को खींचते हुए। मोयना पैर पटक कर बोली, "फिर समय बदलते क्यूँ नहीं? सुबह मुझे बकरियोंको चराने ले जाना होता है।

 

यह एक बड़ी छोटी-सी, वही लगभग दस बरसकी लड़की का सवाल था। वह एक बड़ेसे साँप के पीछे भाग रही थी। मैं भी उसके पीछे पीछे दौड़ी। उसकी चोटी पकड़कर उसे पीछेकी ओर खींचते हुए मैं चिल्लाई, नहीं, मोयना, उसके पीछे मत भागो! "क्यूँ न भागू?" उसने पूछा। यह कोई धामिन साँप नहीं है, यह नाग है, मैंने जवाब दिया।

 

वैसे शबर जाति के लोग आमतौर पर अपनी बेटियों को काम पर नहीं भेजते थे। पर मोयनाकी माँ की एक टांग खराब थी। इसीलिए वह सही से चल फिर नहीं पाती थी। उसके पिताजी किसी कामकी खोज में जमशेदपूर चले गए थे और उसका भाई हर रोज़ लकड़ियाँ चुनने जंगल जाता था। इसलिए मोयना को घर का काम करना पड़ता था।

 

 

उसने कमरों की सफ़ाई की, पौधोंको पानी दिया और फिर नेवले को मछली खिलाई। बाद में वो पास आई और कहने लगी, मैं पढ़ना सीखकर अपने सवालों के जवाब खोजूंगी। मोयना दूसरे बच्चोंको वह सब बताती जो उसने मुझसे सीखा था। तारे सूरजसे भी बड़े हैं, पर वे बहुत दूर रहते हैं, इसलिए बहुत छोटे से नज़र आते हैं। मछलियाँ हमारी तरह बोल नहीं सकतीं। उनकी अपनी एक अलग भाषा होती है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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