लग्न चन्द्रिका हिन्दी पुस्तक पीडीऍफ़ | Lagna Chandrika Hindi Book PDF

   


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लग्न चन्द्रिका हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Lagna Chandrika Hindi Book



इस ग्रन्थ का नाम है : लग्न चन्द्रिका | इस ग्रन्थ के संपादक/अनुवादक है: पंडित कैलाशपति मिश्र ज्योतिषी | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : ठाकुर प्रसाद एंड सन्स बुक्ससेलर, वाराणसी | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 183 MB है | इस पुस्तक में कुल 180 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "लग्न चन्द्रिका" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Lagna Chandrika | Editor/Translator of this book is : Pandit Kailashpati Mishra Jyotishi | This book is published by : Thakur Prasad And Sons Books seller, Varanasi | PDF file of this book is of size 183 MB approximately. This book has a total of 180 pages. Download link of the book "Lagna Chandrika" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
पं. कैलाशपति मिश्रधर्म, ज्योतिष183 MB180



पुस्तक से : 

विषमोऽथ समः पुंखी क्रूरः सौम्यश्च नामतः। चरः स्थिरो द्विस्वभावो मेषाद्या राशयः क्रमात् ॥ मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धन, मकर, कुंभ और मीन ये बारहों राशियें क्रमशः विषम-सम, पुरुष-स्त्री, क्रूर-सौम्य और घर, स्थिर, द्विस्वभाव संज्ञक हैं॥

 

चर स्थिर द्विस्वभाव राशियों को कम से प्रथम, पञ्चम और नवम नवांश वर्गोत्तम होता है। यथा चरसंज्ञक राशियों का प्रथम, द्विस्वभाव संज्ञक राशियों का पश्र्चम और स्थिर संज्ञक राशियों का नवम नवांश वर्गोत्तम जाने। विषम राशियों में १५ अंश तक सूर्य की होरा होती है. 

 

प्रथम, चतुर्थ, सप्तम और दशम भावकी केन्द्र, चतुष्टय और कण्टक संज्ञा है। द्वितीय, पंचम, अष्टम और एकादश भाव की पणफर, तृतीय, पष्ठ, नवम और द्वादशभाव को आपोक्लिम कहते हैं ॥ बुधोऽपि तैयुंतः पापो होरा राश्यदूधंमुच्यते. रवींदुभौमगुरवो ज्ञशुक्र शनिराहवाः॥

 

 

प्रत्येक राशि में स्वगृह से 12 भाग द्वादशांश होता है, सभी राशियों में तीन २ द्वेष्काण होते हैं, उसमें प्रथम द्रेष्काण उसी राशिका, द्वितीय उससे पञ्चम राशिका, तृतीय नवम राशि का होता है। मेष से चार अर्थात् मेष, वृष, मिथुन, कर्क तथा धन और मकर - ये ६ राशियें रात्रिमें बलवती होती हैं। इनके अतिरिक्त सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, कुम्भ और उपरोक्त रात्रिबलवाली राशियोंमें मिथुन को छोड़कर बाकी सब राशियें पृष्ठोदय मानी गयी हैं।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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