लुई पाश्चर और पश्चराइजेशन - जीवनी हिन्दी पुस्तक | Louis Pasteur Aur Pasteurisation - Jivani Hindi Book PDF


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लुई पाश्चर और पश्चराइजेशन - जीवनी हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Louis Pasteur Aur Pasteurisation - Jivani Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : लुई पाश्चर और पश्चराइजेशन - जीवनी | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : अज्ञात | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : ज्ञात नही | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 5 MB है | इस पुस्तक में कुल 14 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "लुई पाश्चर और पश्चराइजेशन - जीवनी" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Louis Pasteur Aur Pasteurisation - Jivani | This book is written/edited by : Unknown | This book is published by : Unknown | PDF file of this book is of size 5 MB approximately. This book has a total of 14 pages. Download link of the book "Louis Pasteur Aur Pasteurisation - Jivani" has been given further on this page from where you can download it for free.


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अज्ञातजीवनी5 MB14



पुस्तक से : 

लेकिन अब चीजें बदल रही थीं। 1800 शताब्दी के आसपास में, फ्रांसीसी रसायन वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने भोजन के खराब होनेके कारण पर शोध करना शुरू किया। धीरे-धीरे करके भोजन और बीमारी पैदा करने वाले कीटाणुओं के बीचका रहस्यमय संबंध उजागर हुआ।

 

ऑक्सीजन इस प्रक्रियाको बदलती है। ऑक्सीजन के संपर्क में आने पर खमीर खुदको गुणा करता है लेकिन वो शर्करा को नहीं खाता है। पाश्चर ने फेरमेंटशन के सभी रहस्यों को उजागर किया था लेकिन वो सोच रहा था कि मिस्टर बिगोकी चुकंदर वाली शराब खराब क्यों हो गए।

 

पाश्चर और उनके सहायकों ने इसका जवाब खोजने के लिए कई पुस्तकें पढ़ी। लगातार अध्ययन के बाद उन्हें प्रत्येक नई खोजको अच्छे से समझने में बहुत मदद मिली। जिस दिमाग की तैयारी अच्छी होती है वही मौका आने पर अवलोकनोंको समझ पाता है। अधिकांश स्रोतों का कहना है कि खमीर फेरमेंटशन पैदा करता है।

 

 

लोगों को यह भी पता नहीं था कि बीमारियां, रोगाणुओंसे उत्पन्न होती हैं। सूक्ष्मजीवी मौजूद थे यह बात उन्हें पता था लेकिन लोग उन्हें हानिरहित मानते थे। यह कोई नहीं जानता था कि बीमारियोका कारण रोगाणु थे इसलिए रोग कैसे फैलते हैं इसका भी लोगों को कोई पता नहीं था। वे नही जानते थे कि वो हाथो को धोए बिना ही गायका दूध निकालते है जिससे दूध में हजारों कीटाणु मिल जायेंगे और फिर लोग उसे पीने से बीमार पड़ेंगे।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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