महाराजा हिन्दी पुस्तक | Maharaja Hindi Book PDF


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महाराजा हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Maharaja Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : महाराजा | इस पुस्तक के लेखक हैं : दीवान जरमनी दास| इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : दीप पब्लिकेशंस, आगरा कैंट | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 9 MB है | इस पुस्तक में कुल 352 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "महाराजा" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Maharaja | This book is written/edited by : Deewan Jaramani Das | This book is published by : Deep Publications, Agra Cantt | PDF file of this book is of size 9 MB approximately. This book has a total of 352 pages. Download link of the book "Maharaja" has been given further on this page from where you can download it for free.


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दीवान जरमनी दासइतिहास9 MB352



पुस्तक से : 

उसने कहा कि अगर इंग्लैण्डका बादशाह भी मेरे खिलाफ़ खेलता होता और ऐसा अनुचित व्यवहार करता तो जब तक वह माफ़ी न माँगता तब तक मेरी टीम कदापि मैच न खेलती। इस बात पर वायसराय ने क्रिस्टीको बुला कर कहा "जाम्रो बेटे! माफी माँग लो।" क्रिस्टी ने जार्डीन के पास जाकर माफ़ी माँगी तब जाकर खेल की शुरुआत हुई।

 

महाराजा ने उनको निमन्त्रण दिया कि वे पटियाला आकर मेहमान बनें जो उन्होंने मंजूर कर लिया। पटियाला आने के बाद उनको शिमलाकी पहाड़ियों में एक स्थान पर ले जाया गया जो पटियाला रियासतकी ग्रीष्मकालीन राजधानी थी। मेहमानों के शानदार खातिरदारी के बाद महाराजा ने हिम्मत करके अपनी एक तजवीज उनके सामने रखी।

 

जो इटली का भारतमें कौन्सल जेनरल था। महाराजा की उससे घनिष्टता बहुत बढ़ गई थी और उसी के द्वारा महाराजा ने कोशिश करके मुसोलिनी पर अपना प्रभाव डाला। जेनरल भी उसी समय पर रोम गया था जब महाराजा गये हुए थे। महाराजा की मुलाक़ात ब्रिटिश राजदूत के द्वारा तर की गई थी परन्तु जेनरल ने यह योजना पहले ही मुसोलिनीको बता दी थी।

 

 

इस खत में महाराजा ने सभी शिकायतोंको झूठ करार दिया। उन्होंने लिखा कि वायसराय के साथ उनके निजी ताल्लुकात खराब होनेकी वजह यह थी कि एक बार लेडी विलिंग्डन राजधानी में पधारी, तब महाराजा ने उनको महल ले जाकर रियासत के जवाहरत और जेवरात दिखलाए थे। उनमे से एक ३० लाख रुपए कीमतका हार था, जो विलिंग्डन ने महाराजा से माँगा, किंतु महाराजा ने इन्कार कर दिया था।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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