नागपुरी शिष्ट साहित्य हिन्दी पुस्तक | Nagpuri Shisht Sahitya Hindi Book PDF


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नागपुरी शिष्ट साहित्य हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Nagpuri Shisht Sahitya Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : नागपुरी शिष्ट साहित्य | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : डॉ. श्रवण कुमार गोस्वामी | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 3 MB है | इस पुस्तक में कुल 156 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "नागपुरी शिष्ट साहित्य" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Nagpuri Shisht Sahitya | This book is written/edited by : Dr Shravan Kumar Goswami | This book is published by : Unknown | PDF file of this book is of size 3 MB approximately. This book has a total of 156 pages. Download link of the book "Nagpuri Shisht Sahitya" has been given further on this page from where you can download it for free.


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डॉ. श्रवण कुमार गोस्वामीसाहित्य3 MB156



पुस्तक से : 

राजा ने बारह हजार रुपये की जगह पंद्रह हजार एक रुपए कर देना स्वीकार कर लिया। राजा ने यह कबुलियत भी लिखा कि छोटानागपुर आने वाले यात्रियोंकी रक्षा तथा डांकुओं के आतंक को संभालना राज्य का भार होगा। लेकिन इन कार्यो में राजा सफल नहीं रहे और कर देनेमें भी पिछड़ गए। यहाँ के निवासी भी राजा से खफा थे।

 

राधा-कृष्ण, राम-कथा तथा शिव-स्तुति को स्थान मिलता रहा। स्वतन्त्रता संग्रामकी आग ने छोटानागपुर को भी प्रभावित किया और साहित्यकारों में परिवर्तन के चिह्न परिलक्षित होने लगे। स्वतन्त्रता के पश्चात् देश में जागृति की एक नई लहर दौड़ गई। नागपुरी कवियों के सामने आधुनिक तथा नवीन विषयोंका कोई प्रभाव नहीं था।

 

जब इब्राहिम खाँ बिहार का सूबेदार बनाया गया तब जहाँगीर ने कोकरा पर आक्रमण करके राजा दुर्जनशाल को अपदस्थ करनेका आदेश दिया। वे राज्य के सभी हीरे की खानों पर मुगल अधिकार चाहते थे। इब्राहिम खाँ ने शीघ्र ही कोकरा पर आक्रमण कर दिया। इस बार भी दुर्जनशाल ने कुछ हाथी तथा हीरे इब्राहिम खाँ के पास भिजवाए।

 

 

इस किंवदन्ती का दूसरा भाग यह है कि दूबे ने मदरा मुंडा नामक व्यक्तिको यह बच्चा सौंप दिया, जिसने अपने बेटे के साथ ही फणिमुकुट राय का भी पालन पोषण किया। बारह वर्ष व्यतीत होने के पश्चात मुंडा ने देखा कि उसके अपने पुत्रकी अपेक्षा फणिमुकुट राय अधिक प्रतिभाशाली था। इसीलिए उन्होंने फणिमुकुट राय को ही अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। अन्य लोगो ने भी एकमत से फणिमुकुट राय को नया राजा स्वीकार कर लिया।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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