नानी मां और विशाल कद्दू हिन्दी पुस्तक | Nani Maa Aur Vishal Kaddu Hindi Book PDF


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नानी मां और विशाल कद्दू हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Nani Maa Aur Vishal Kaddu Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : नानी मां और विशाल कद्दू | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : अज्ञात | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 3 MB है | इस पुस्तक में कुल 18 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "नानी मां और विशाल कद्दू" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Nani Maa Aur Vishal Kaddu | This book is written/edited by : Unknown | This book is published by : Unknown | PDF file of this book is of size 3 MB approximately. This book has a total of 18 pages. Download link of the book "Nani Maa Aur Vishal Kaddu" has been given further on this page from where you can download it for free.


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अज्ञातकहानी3 MB18



पुस्तक से : 

आखिरकार उन्होंने अपनी बेटीसे कहा कि अब मुझे घर लौट जाना चाहिए। कालू और भोलू मेरी प्रतीक्षा कर रहे होंगे और मेरा बगीचा भी। लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि जंगलमें बाघ और भालू भी मेरी प्रतीक्षा कर रहे हैं। इस बार मैं उनको बातों से चकमा नही दे पाऊँगी।

 

लेकिन उन्होंने लोमड़ीको यह पता नही चलने दिया कि वह कितनी डरी थी। नानीमां ने उससे कहा कि तुम अगर नाशते में मुझे खानेका सोच रही हो तो वह एक गलत विचार है, देखो अभी मैं कितनी दुबली-पतली हूँ। जब मैं अपनी बेटी के घरसे लौटूंगी तब मैं खूब मोटी हो जाऊँगी। वह एक अच्छी बावर्ची है।

 

बहुत समय पहले की बात है कि भारत के एक छोटे से गाँवमें एक वृद्ध महिला रहती थी जिसे हर कोई नानीमाँ कह कर पुकारता था। उसे बागबानी अच्छी लगती थी और उसके पास सब्जियों का एक बहुत बड़ा बगीचा था जो पूरे गाँव में सबसे बढ़िया था। एक दिन उसे अपनी बेटीका पत्र मिला जो जंगल के दूसरी ओर रहती थी।

 

 

उसका सब्जियों का बगीचा सारे गाँव में सबसे अच्छा था। नानीमाँ अपनी कुटियामें अकेली रहती थी। कुटिया गाँव के किनारे पर एक विशाल जंगल के नजदीक थी। कभी-कभी जंगल में हाथियों के चलने की आवाज़, थप थप थप, या फिर सूखे पत्तों में छिपकलियों के रेंगनेकी आवाज सुनाई देती थी। नानीमाँ कोई परवाह न करती थी क्योंकि उसकी रक्षा के लिए उसके पास दो बड़े वफादार कुत्ते थे। उनका नाम कालू और भोलू था।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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