प्रश्नोपनिषद - गीता प्रेस हिन्दी ग्रन्थ | Prashnopanishad - Gita Press Hindi Book PDF



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प्रश्नोपनिषद हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Prashnopanishad Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : प्रश्नोपनिषद | इस ग्रन्थ के लेखक/संपादक है: अज्ञात | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : गीता प्रेस, गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 7 MB है | इस पुस्तक में कुल 124 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "प्रश्नोपनिषद" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Prashnopanishad | Author/Editor of this book is : Unknown | This book is published by : Gita Press, Gorakhpur | PDF file of this book is of size 7 MB approximately. This book has a total of 124 pages. Download link of the book "Prashnopanishad" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के प्रकाशकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
गीता प्रेस, गोरखपुरधर्म, भक्ति, उपनिषद7 MB124



पुस्तक से : 

भरद्वाजनन्दन सुकेशा, शिबिकुमार सत्यकाम, गर्गगोत्र में उत्पन्न हुआ सौर्यायणि, अश्वलकुमार कौसल्य, विदर्भदेशीय भार्गव और कत्य के पोते का पुत्र कबन्धी- ये अपर ब्रह्मकी उपासना करनेवाले और तदनुकूल अनुष्ठान में तत्पर छः ऋषिगण परब्रह्मके जिज्ञासु होकर भगवान् पिप्पलादके पास यह सोचकर कि ये हमें उसके विषय में सब कुछ बतला देंगे, हाथ में समिधा लेकर गये.

 

भरद्वाज का पुत्र भारद्वाज जो नाम से सुकेशा था; शिबिका पुत्र शैब्य जिसका नाम सत्यकाम था; सूर्यके पुत्रको 'सौर्य' कहते हैं उसका पुत्र सौर्यायणि जो गर्गगोत्रोत्पन्न होने से गार्ग्य कहलाता था— यहाँ 'सौर्यायणि'- के स्थान में 'सौर्यायणी' [ईकारान्त] प्रयोग छान्दस है; अश्वलका पुत्र आश्वलायन जो नाम से कौसल्य था; भृगु का गोत्रज होनेसे भार्गव जो विदर्भदेश में उत्पन्न होने से वैदर्भि कहलाता था।

 

हे देवगण! हम कानोंसे कल्याणमय वचन सुनें। यज्ञकर्ममें समर्थ होकर नेत्रों से शुभ दर्शन करें तथा स्थिर अङ्ग और शरीरों से स्तुति करनेवाले हमलोग देवताओंके लिये हितकर आयुका भोग करें। त्रिविध ताप की शान्ति हो।

 

 

कहते हैं, उस ऋषि ने उनसे कहा- 'तुम तपस्या, ब्रह्मचर्यपूर्वक और श्रद्धासे युक्त होकर एक वर्ष और निवास करो; फिर अपने इच्छानुसार प्रश्न करना, यदि मैं जानता होऊँगा तो तुम्हें सब बतला दूँगा'॥

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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