पुरस्कार - जयशंकर प्रसाद हिन्दी पुस्तक | Puraskar - Jaishankar Prasad Hindi Book PDF


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पुरस्कार हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Puraskar Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : पुरस्कार | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : जयशंकर प्रसाद | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 1 MB है | इस पुस्तक में कुल 20 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "पुरस्कार" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Puraskar | This book is written/edited by : Jaishankar Prasad | This book is published by : Unknown | PDF file of this book is of size 1 MB approximately. This book has a total of 20 pages. Download link of the book "Puraskar" has been given further on this page from where you can download it for free.


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जयशंकर प्रसादकहानी1 MB20



पुस्तक से : 

मधूलिका मुस्कुरा कर बोली, आपका स्वागत है।बारिश रुक चुकी थी। कोहरेसे धुली हुई चाँदनीमें अरुण और मधूलिका दोनो बरगद के नीचे जाकर बैठ गए। मधूलिका आज बहुत खुश नजर आ रही थी। अरुण बड़ा संभल कर बातें कर रहा था। मैं नया राज्य स्थापित करूँगा। तुम्हें वहांकी राजरानी बनाऊँगा।

 

रात हुई पर राजकुमार को नींद कहाँ आ रही थी? अपने घोड़े पर सवार होकर वह बाहर घूमने निकल पड़ा। घूमते हुए वो एक बरगद के पेड़ के पास पहुँचा। उस पेड़ के नीचे मधूलिका आरामसे सो रही थी। सोई हुई मधुलिका बहुत ही सुंदर और बड़ी भोली जान पड़ती थी। अरुण एकटक उसे देखे जा रहा था।

 

राजा ने समय के साथ सारे बीज बो दिये। थाल पूरा खाली हो गया। राजा ने उसमें सोने के कुछ सिक्के डाल दिये। यह उसके जमीनकी कीमत थी। मधूलिका ने थालीको सदर प्रणाम किया। उसने सिक्को को उठाकर राजा पर वार दिए। फिर उसने कहा कि यह मेरे बाप-दादा की जमीन है। मैं इसे आपको देने के लिए तैयार हूँ मगर मैं इसे बेचूंगी नही।

 

 

अपनी जमीन खोने के बाद मधूलिका दूसरे के खेतोंमें मेहनत करने लगी। रूखा-सूखा जो भी उसे मिलता उसे खाकर अपनी झोंपड़ीमें सो जाया करती। इस तरह से कई साल बीत गये। सर्दियों की एक रात, रह-रहकर बिजली चमक उठती थी। मधूलिका अपनी झोंपड़ीमें ठिठुर रही थी। बहुत दिनों बाद उसे बीती हुई वह बात याद आ रही थी। राजकुमार अरुण की बातें। अब वो पछता रही था उसे उसकी बात मान लेनी चाहिए थी।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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