श्री योग चिंतामणि और व्यवहार ज्योतिष हिन्दी पुस्तक | Shri Yog Chintamani Aur Vyavahar Jyotish Hindi Book PDF


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श्री योग चिंतामणि और व्यवहार ज्योतिष हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Shri Yog Chintamani Aur Vyavahar Jyotish Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : श्री योग चिंतामणि और व्यवहार ज्योतिष | इस पुस्तक के लेखक हैं : श्री वामन जोशी | इस पुस्तक के संपादक हैं : डॉ. शुभम शर्मा | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : चौखंभा संस्कृत संस्थान, वाराणसी | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 12 MB है | इस पुस्तक में कुल 220 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "श्री योग चिंतामणि और व्यवहार ज्योतिष" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Shri Yog Chintamani Aur Vyavahar Jyotish | This book is written by : Shri Vaman Joshi | This book is composed by : Dr Shubham Sharma | This book is published by : Chaukhambha Sanskrit Sansthan, Varanasi | PDF file of this book is of size 12 MB approximately. This book has a total of 220 pages. Download link of the book "Shri Yog Chintamani Aur Vyavahar Jyotish" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
डॉ. शुभम शर्माज्योतिष12 MB220



पुस्तक से : 

ग्रन्थ के उत्तरार्थ व्यवहार ज्योतिष नाम से ज्योतिष शास्त्र के प्रारम्भिक विषयोंसे लेकर महत्वपूर्ण विषयों तक का विवेचन कर नवीन ज्योतिषानुरागियों के लिए ज्योतिष पढनेका मार्ग आसन कर दिया गया है। फलादेश के मुहूर्त, शकुनादि अनेक आवश्यक विषयों का संग्रह कर इस ग्रन्थ को प्रस्तुत किया है।

 

इनमें से कुछ ऐसे भी योग हैं जिनका प्रतिपादन अन्य ग्रन्थोंमें पहले भी हो चुका है। यह ग्रन्थ इसलिए महत्त्वपूर्ण है कि इसमें नाना जोशी और उनके पुत्र ग्रन्थकार वामन जोशी के अनुभव भरे पड़े हैं। एक सौ एकसठ श्लोकों में वर्णित योगचिन्तामणि ग्रन्थमें एक श्लोक मंगलाचरण के लिए तथा तीन श्लोक पूर्वजवर्णन में लिखे गये हैं।

 

श्री वामन जोशी अनुभवी, लोकप्रसिद्ध, सिद्ध और अनेक विधाओं के दक्ष विद्वान् हैं। ज्योतिषशास्त्र में जितनी संख्या भावजग्रन्थों की है उतनी संख्या योगज ग्रन्थोंकी नहीं है अतः यह ग्रन्थ योगज ग्रन्थों में जातकालंकार की तरह ख्यातिलब्धता की योग्यता को रखता है। इस ग्रन्थमें योगों के नाम और उनकी संज्ञा आश्चर्यचकित कर देने वाली है।

 

 

इस ग्रन्थ में तीन पीढ़ियों के तप का परिणाम समाहित है। यह ग्रन्थ अनुसंधेय और ज्योतिर्विदों के लिए पठनीय है। इस ग्रन्थका नाम योगचिन्तामणि है। इस ग्रन्थ में चिन्तामणि योग भी प्रतिपादित है। चन्द्रमा से चतुर्थस्थानमें यदि एकाधिक शुभ ग्रह बैठे हों तो चिन्तामणि नामक योग बनता है। चिन्तामणि योग वाला मनुष्य नृपतुल्य है। वह दूसरोको धन और सहयोग प्रदान करने में सक्षम होता है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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