आयुर्वेद का इतिहास हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Ayurved ka Itihas Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : आयुर्वेद का इतिहास | इस ग्रन्थ के लेखक/संपादक है: कविराज सूरमचंद्र | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : कविराज सूरमचंद्र, शिमला | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 20 MB है | इस पुस्तक में कुल 285 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "आयुर्वेद का इतिहास" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.
Name of the book is : Ayurved ka Itihas | Author/Editor of this book is : Kaviraj Suramchandra | This book is published by : Kaviraj Suramchandra, Shimla| PDF file of this book is of size 20 MB approximately. This book has a total of 285 pages. Download link of the book "Ayurved ka Itihas" has been given further on this page from where you can download it for free.
पुस्तक के संपादक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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कविराज सूरमचंद्र | इतिहास, आयुर्वेद | 20 MB | 285 |
पुस्तक से :
आयर्वेद का इतिहास भारतीय ऋषियो का इतिहास है। इसकी छटा इस पुस्तक में मिलेगी। प्रत्येक ऋषि कितने विषयों का पारगत पण्डित था, वह कितना दीर्घजीवो हुआ, यह इस ग्रन्थ से ज्ञात हो जाएगा। उन परम पुनीत ऋषियो को पाश्चात्य लेखकोने असत्य वक्ता और अल्पज्ञानी ठहराया था, इसका ज्वलन्त निराकररण इस पुस्तक में है।
पुण्यभूमि भारत मे गत अनेक शताब्दियों में राजाश्रय के भाव से आयुर्वेद रूपी जो अमृतज्ञान ह्रास को प्राप्त हुआ है, उसके पुनरुद्धार, तथा संसार में आयुर्वेद के अलौकिक और स्वत: सिद्ध तथ्यों के प्रचार अपिच पश्चिम के कतिपय अल्प-सस्कृतविद्या-विद्य जर्मन, फ्रेंच, अग्रेज और अमरीकी आदि लेखको द्वारा प्रसारित बहुविधा भ्रान्तियो के उन्मूलन तथा पुरातन आचार्यों के सत्य काल-प्रदर्शन के निमित्त यह हमारा प्रबन्ध है।
इस पृथ्वी पर मानव की उत्पत्ति कई बार हो चुकी है। गत सृष्टि के अन्त में सवर्तकाग्नि के प्रभाव से सम्पूर्ण पशु, पक्षी और वनस्पति आदि दग्ध हो गए। पृथ्वी का जल ताप के अत्यधिक होने से धूम्राकार होकर प्रकाश में लीन हो गया। इस भयंकर अग्निदाह के पश्चात् आँधियाँ आई।
विकासमत की निराधारता और आदि से सारे ज्ञान की पूर्णता का सिद्धान्त इस ग्रन्थ से समझ में आएगा। वेद, ब्राह्मरण ग्रन्थ, रामायण, महाभारत, पुराण और अनेक संस्कृत ग्रन्थो के प्रमारणो से यह पुस्तक अलंकृत है। पूरा ग्रानन्द लेने वालों को उन ग्रन्थो का यथार्थ ज्ञान उपलब्ध करना चाहिए। तदर्थ संस्कृत विद्या का गम्भीर परिचय अभीष्ट है। आयुर्वेद का ज्ञान भी संस्कृत विद्या के बिना नहीं हो सकता।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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