भारतीय ज्योतिष विज्ञान पुस्तक पीडीऍफ़ | Bhartiya Jyotish Vigyan Book PDF




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भारतीय ज्योतिष विज्ञान पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Bhartiya Jyotish Vigyan Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : भारतीय ज्योतिष विज्ञान | इस ग्रन्थ के लेखक/संपादक है: रविंद्र कुमार दुबे | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : प्रतिभा प्रतिष्ठान, नई दिल्ली | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 4 MB है | इस पुस्तक में कुल 134 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "भारतीय ज्योतिष विज्ञान" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Bhartiya Jyotish Vigyan | Author/Editor of this book is : Ravindra Kumar Dubey | This book is published by : Pratibha Pratisthan, New Delhi | PDF file of this book is of size 4 MB approximately. This book has a total of 134 pages. Download link of the book "Bhartiya Jyotish Vigyan" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
रविन्द्र कुमार दुबेज्योतिष, धर्म4 MB134



पुस्तक से : 

ज्योतिष का मूल आधार लग्न तालिका है, जो व्यक्ति के जन्मके समय पृथ्वीके सापेक्ष अन्य ग्रहोकी स्थिति को प्रदर्शित करता है। भौतिक विज्ञानके सभी सिद्धात मूल अभिकल्पनाओ पर आधारित होते है। ये अभिकल्पनाएँ भौतिक पदार्थोंके मूल गुणो पर आधारित होती है।

 

मानव शरीर के द्रव्यमान का लगभग 80 % भाग तरल रूप में है तथा रक्त कोशिकाओं में लौह व अन्य खनिज होते है। अतः जन्म के समय विभिन्न ग्रहों व आकाशीय पिंडो की स्थिति इस द्रव पर तत्कालीन स्थितिके अनुसार गुरुत्वीय बल उत्पन्न करती है तथा लौह-कणो पर चुबकीय बल का प्रभाव होता है।

 

ज्योतिष का भी मूल आधार यह है कि किसी भी व्यक्तिके जन्म के समय, अर्थात् माँ के शरीर से जैसे ही बच्चा पृथक् अस्तित्वमें आता है, उस समय अन्य ग्रह, नक्षत्र आदि की जन्म स्थानसे जो सापेक्ष दूरी है वह उस बच्चेके शरीर के सभी अवयवों पर स्थायी प्रभाव डालती है तथा बच्चेका भविष्य इस प्रभावके अधीन रहता है। मानसिक रोगियो पर पूर्णमासी का विशेष प्रभाव सभी जानते है।

 

 

किसी भी समय विशेष पर पृथ्वी अपने परिपथमें घूमते समय जिस स्थान पर है, उस स्थानसे विभिन्न ग्रह, नक्षत्र व अन्य आकाशीय पिंडोकी दूरी उस समय विशेष पर जन्म लेनेवाले व्यक्ति की लग्नतालिका निर्धारित करने का मुख्य आधार होगी। अपने सौरमंडल के नौ प्रमुख ग्रह जो दूरस्थ सौरमंडलो के पिंडो की तुलनामें बहुत कम दूरी पर है, पृथ्वी पर अपेक्षाकृत अधिक प्रभाव रखते है अतः इन सभी 9 आकाशीय पिंडो के पृथक्-पृथक् प्रभावको लग्न तालिका में रखा जाता है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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