भोज संहिता शुक्र खंड हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Bhoj Sanhita Shukra Khand Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : भोज संहिता शुक्र खंड | इस ग्रन्थ के लेखक/संपादक है: डॉ भोजराज द्विवेदी | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 04 MB है | इस पुस्तक में कुल 09 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "भोज संहिता शुक्र खंड" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.
Name of the book is : Bhoj Sanhita Shukra Khand | Author/Editor of this book is : Dr Bhojraj Dwivedi | This book is published by : Unknown | PDF file of this book is of size 04 MB approximately. This book has a total of 09 pages. Download link of the book "Bhoj Sanhita Shukra Khand" has been given further on this page from where you can download it for free.
पुस्तक के संपादक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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डॉ भोजराज द्विवेदी | धर्म, ज्योतिष | 04 MB | 09 |
पुस्तक से :
पूर्वाफल्गुनी नक्षत्र का द्वितीय चरण - पूर्वाफाल्गुनी का स्वामी शुक्र है। इसके द्वितीय चरण का स्वामी बुध है। ऐसा जातक राजमान्य एवं परम वैभवशाली होता है। जातक अपनी वाक्पटुता के कारण राजसरकार में दबदबा रखता है।
पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र का चतुर्थ चरण - पूर्वाफाल्गुनी का स्वामी शुक्र है। इसके चतुर्थ चरण का स्वामी मंगल है। ऐसा जातक राजमान्य एवं परम वैभवशाली होता है। जातक महत्त्वाकांक्षी होगा। जिसके कारण बड़े लोगोंसे टकराव होगा।
पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र का तृतीय चरण-पूर्वाफाल्गुनी का स्वामी शुक्र है। इसके तृतीय चरण का स्वामी शुक्र है ऐसा जातक राजमान्य एवं परम वैभवशाली होता है। जातक पूर्ण ऐय्याश होता है तथा जीवनमें काम पाने वाले सभी प्रकार के ऐश्वर्यपूर्ण संसाधनों का स्वामी होता है।
वृषलग्न में शुक्र लग्नेश व षष्ठेश होने से एक दुःस्थान का स्वामी होने से अशुभफलकारी भी है, पर लग्नेश कभी अशुभ नहीं होता। शुक्र यहां धनु राशि में होकर द्वितीय (धन) भाव (मिथुन राशि) को पूर्ण दृष्टि से देखेगा।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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