भृगु संहिता पद्धति पुस्तक पीडीऍफ़ | Bhrigu Samhita Paddhati Book PDF


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भृगु संहिता पद्धति पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Bhrigu Samhita Paddhati Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : भृगु संहिता पद्धति | इस ग्रन्थ के लेखक/संपादक है: अज्ञात | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 34 MB है | इस पुस्तक में कुल 714 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "भृगु संहिता पद्धति" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Bhrigu Samhita Paddhati | Author/Editor of this book is : Unknown | This book is published by : Unknown | PDF file of this book is of size 34 MB approximately. This book has a total of 714 pages. Download link of the book "Bhrigu Samhita Paddhati" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
अज्ञातज्योतिष, धर्म34 MB714



पुस्तक से : 

जिस व्यक्ति का मिथुन का मंगल लग्न से तीसरे स्थान में हो तो वह मनुष्य महान् पुरुषार्थ करनेवाला तथा भाईके स्थान में हानि पानेवाला और आयुकी वृद्धि पाने वाला, राज समाज में प्रभुत्व पानेवाला और अपनी भरपूर शक्ति के बल से उन्नति का मार्ग बनानेवाला, बड़ा कारोबार करनेवाला और कठिन से कठिन कष्टसाध्य कर्मको खुशी से उत्साह पूर्वक करनेवाला तथा शत्रुका दमन करने वाला और दिक्कतों व परेशानियों पर विजय पानेवाला और उन्नतिके प्राप्त करनेके हेतु महान् कूटनीति व महान् परिश्रम से कार्य करनेवाला होता है।

 

जिस व्यक्ति का मेष का सूर्य लग्न के पहले स्थान में हो वह मनुष्य महान विद्वता रखने वाला और विद्या की आदर्श शक्ति पाने वाला तथा आत्मज्ञान की महानता पाने वाला होता है.

 

जिस व्यक्तिका तुला का मंगल लग्न से सातवें स्थान १२ में हो तो वह मनुष्य बड़ी परेशानियोंके द्वारा रोजगार करने वाला और स्त्री स्थानमें कुछ हानि या क्लेश पानेवाला और बड़े कारबार के अन्दर तरक्की का साधन पैदा करने वाला व समाज में मान पानेवाला तथा अपने आत्मगौरव का बड़ा ख्याल रखने वाला, जीवनकी दिनचर्या का आनन्द लेने वाला और आयुकी शक्ति पानेवाला तथा धनकी वृद्धि करने के लिये विशेष प्रयत्न करने वाला होता है।

 

 

जिस व्यक्ति का कन्याका मंगल लग्नसे छठे स्थान न० ३० में हो तो वह मनुष्य महान् प्रभावकी शक्तिको प्राप्त करनेवाला, आत्मबल की शक्ति से तथा परिश्रम से ख्याति व नामवरी पानेवाला और शत्रु स्थानमें विजयी होनेवाला तथा कुछ प्रभावशाली परतंत्रता का योग पानेवाला होता है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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