बृहत् पाराशर होरा शास्त्र (भाषा टीका) हिन्दी पुस्तक | Brihat Parashar Hora Shastra (Bhasha Tika) Hindi Book PDF


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बृहत् पाराशर होरा शास्त्र हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Brihat Parashar Hora Shastra Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : बृहत् पाराशर होरा शास्त्र | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : पंडित गणेशदत्त पाठक | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : सावित्री ठाकुर प्रकाशन, वाराणसी | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 109 MB है | इस पुस्तक में कुल 810 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "बृहत् पाराशर होरा शास्त्र" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Brihat Parashar Hora Shastra | This book is written/edited by : Pandit Ganesh Dutt Pathak | This book is published by : Savitri Thakur Prakashan, Varanasi | PDF file of this book is of size 109 MB approximately. This book has a total of 810 pages. Download link of the book "Brihat Parashar Hora Shastra" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
पं. गणेशदत्त पाठकज्योतिष109 MB810



पुस्तक से : 

हे द्विजश्रेष्ठ! सूर्य का श्यामता लिये हुए रक्तवर्ण, चन्द्रमा का गौरवर्ण, मंगलका ऊँचा शरीर रक्तवर्ण, बुध का दूर्वा के समान श्यामवर्ण है। सूर्य के अग्नि, चन्द्रमा के जल, भौम के स्वामि कार्त्तिक, बुध के विष्णु, गुरु के इन्द्र, शुक्र के इन्द्राणी और शनि के ब्रह्मा स्वामी हैं। 

 

गुरु, लम्बी शरीर वाला, पीले शिर के केश और दृष्टि वाला, कफ प्रकृति, बुद्धिमान् तथा सभी शास्त्रों को जाननेवाला है। राहु, धुएँ के समान वर्ण, नीले रंगकी शरीर, जंगल में रहनेवाला, भयंकर, वायु प्रकृति और बुद्धिमान् है। केतु का स्वरूप भी लगभग राहु के समान ही है।

 

जन्मलग्न से उक्त बारह राशियाँ क्रमसे शिर, मुख, दोनों भुजायें, हृदय, पेट, कटि, गुह्यस्थान, उरु, दोनों जानु, जंघे हैं। दोनों चरण कालपुरुष के अंग में हैं। मेषादि राशियों की क्रमसे चर, स्थिर, द्विस्वभाव तथा क्रूर, शुभ और पुरुष स्त्री संज्ञायें हैं। पित्त, वायु और कफ तीनों मिले हुए है। 

 

 

राहु, चांडाल जाति और केतु वर्णशंकर जाति का है। केतु, राहु, शनि तीनो का वल्मीक स्थान है। अनेक रंग के कपड़ों से कथरी राहु का वस्त्र है। राहु का धातु शीशा तो वही केतु का धातु नीलमणि है। शुक्र की वसन्तऋतु, भौम और रवि की ग्रीष्मऋतु, चन्द्रमा की वर्षाऋतुं बुध की शरऋतु है। गुरु की हेमन्त ऋतु और शनि की शिशिर ऋतु है। राहुका ८ मास और केतु का ३ मास है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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