डॉक्टर त्रिफला हिन्दी पुस्तक | Doctor Triphala Hindi Book PDF

 

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डॉक्टर त्रिफला हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Doctor Triphala Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : डॉक्टर त्रिफला | इस ग्रन्थ के लेखक/संपादक है: डॉ गंगा प्रसाद गौड़ | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : तेजकुमार बुक डिपो लिमिटेड | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 13 MB है | इस पुस्तक में कुल 66 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "डॉक्टर त्रिफला" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Doctor Triphala | Author/Editor of this book is : Dr Ganga Prasad Gaud| This book is published by : Tejkumar Book Dipo Limited | PDF file of this book is of size 13 MB approximately. This book has a total of 66 pages. Download link of the book "Doctor Triphala" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
डॉ गंगाप्रसाद गौड़आयुर्वेद, स्वास्थ्य, चिकित्सा13 MB66



पुस्तक से : 

सब रोगोंका डाक्टर त्रिफला । आयुर्वेदानुसार हरड़, बहेड़ा और आँवला- ये तीन फल संयुक्त रूप से त्रिफला कहलाते हैं। त्रिफला का रूप देने के लिये इन तीनों फलों को उनकी गुठलियाँ निकाल कर बराबर-बराबर वजन में लेकर एक साथ मिला लेना चाहिए और औषधि के काम में लाना चाहिए। इसका भी ध्यान रखना चाहिए कि त्रिफला में जो हरड़, बहेड़ा और आंवला के फल संयुक्त किये जायँ वे सड़े, गले, घुने और बहुत दिन के पुराने न हों, अपितु ताजे, शुद्ध और पुष्ट हों।

 

त्रिफला के तीन फलों- आँवला, हरड़, बहेड़ा में आँवलाको अमृतफल कहा गया है। महर्षि चरक का मत है कि संसारमें जितनी भी प्रभावशाली और रसायन औषधियाँ हैं, उनसबमें आँवला और हरड़ ये दो औषधियाँ, जो त्रिफला के मुख्य अंग हैं, सर्वोत्कृष्ट हैं। इन दो औषधियों में एक आँवला में जितने रोगनिवारक और रक्तशोधक तत्व होते हैं उतने संसार की किसी अन्य औषधि वस्तुमें नहीं होते।

 

आयुर्वेद में त्रिफला का बड़ा माहात्म्य है। उसमें बताया गया है कि जिस प्रकार देवताओं में ब्रह्मा, विष्णु और महेश सर्वोपरि हैं, उसी प्रकार फलों में हरड़, बहेड़ा और आँवला इन तीन फलों (त्रिफला) को सर्वोत्तम समझना चाहिए।

 

 

अच्छी और ताजी हरड़ वह है जो पेड़ पर ही पक कर पृथ्वी पर टपके। ऐसी हरड़ चिकनी, गोल, कठोर और वजन में लगभग ४ तोला के होती है। ऐसी हरड़ पानी में छोड़ने से डूब जाती है। हिलाने से बजती है, और कुचलने पर सूखा पीले रंग का चूर्ण देती है। अच्छी हरड़ की नोक की तरफ किसी छिद्र का चिह्न नहीं होता ।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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