गृह वास्तु प्रदीप हिन्दी पुस्तक पीडीऍफ़ | Griha Vastu Pradeep Hindi Book PDF

  


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गृह वास्तु प्रदीप हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Griha Vastu Pradeep Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : गृह वास्तु प्रदीप | इस ग्रन्थ के लेखक/संपादक है: डॉ शैलजा पाण्डेय | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : चौखम्बा संस्कृत प्रतिष्ठान, दिल्ली | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 15 MB है | इस पुस्तक में कुल 95 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "गृह वास्तु प्रदीप" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Griha Vastu Pradeep | Author/Editor of this book is : Dr Shailaja Pandey | This book is published by : Chaukhamba Sanskrit Pratishthan | PDF file of this book is of size 15 MB approximately. This book has a total of 95 pages. Download link of the book "Griha Vastu Pradeep" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
डॉ शैलजा पाण्डेयज्योतिष, वास्तु15 MB95



पुस्तक से : 

सुख प्रदायक गृह मनुष्य जीवन की आवश्यकता है। पारिवारिक जीवन के सुखोपभोग का हेतु; धर्म, अर्थ एवं काम का प्रदाता; शीतातप एवं वृष्टि से तथा शत्रुओं से रक्षा करने वाला; मांगलिक एवं धार्मिक कृत्यों का स्थान तथा सुख का आगार सभी प्राणियों का विश्राम स्थल अपना आवास ही होता है।

 

स्त्रीपुत्रादिक भोगसौख्यजननं धर्मार्थकामप्रदम् जन्तूनामयनं सुखास्पदमिदं शीताम्बुघर्मापहम्।वापीदेवगृहादिपुण्यमखिलं गेहात्समुत्पद्यते गेहं पूर्वमुशन्ति तेन विबुधाः श्रीविश्वकर्मादयः॥

 

गृह-निर्माण की आवश्यकता को देखते हुए विश्वकर्मा आदि वास्तुविद् देवों एवं आचार्यों ने वास्तुशास्त्र का प्रणयन किया, जिसके आलोक में गृहनिर्माण के विज्ञान का विकास हुआ। प्रस्तुत ग्रन्थ 'गृहवास्तुप्रदीप' आवासीय भवन निर्माण के लिए विचारणीय सभी प्रसङ्गों पर विचार प्रस्तुत करता है। यह एक सङ्कलन ग्रन्थ है।

 

 

इस ग्रन्थ में भवन निर्माण से पूर्व भूमि चयन से लेकर गृह प्रवेश तक विधिवत् विचार किया गया है। भूमि चयन से पूर्व जिस ग्राम-नगरादि में भूमि लेना हो उसके साथ गृहकर्ता की ज्योतिषगत अनुकूलता आवश्यक मानी गयी है। इसके लिए वर्ग-मैत्री, काकिणी, वर्ग एवं राशि के अनुसार ग्राम या नगर की दिशा एवं दशाविचार, वर्णानुसार भूमि का चयन, चयनित भूमि के निकट वृक्ष एवं कूपादि का विचार किया जाता है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


डाउनलोड लिंक :

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