हरड़ और उसके सौ उपयोग हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Harad Aur Uske Sau Upyog Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : हरड़ और उसके सौ उपयोग | इस ग्रन्थ के लेखक/संपादक है: आयुर्वेदाचार्य पंडित गंगा प्रसाद गांगेय | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : तेजकुमार बुक डिपो लिमिटेड, लखनऊ | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 25 MB है | इस पुस्तक में कुल 50 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "हरड़ और उसके सौ उपयोग" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.
Name of the book is : Harad Aur Uske Sau Upyog | Author/Editor of this book is : Ayurvedacharya Pandit Ganga Prasad Gangeya | This book is published by : Tej Kumar Book Dipot Limited, Lucknow | PDF file of this book is of size 25 MB approximately. This book has a total of 50 pages. Download link of the book "Harad Aur Uske Sau Upyog" has been given further on this page from where you can download it for free.
पुस्तक के संपादक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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पं. गंगा प्रसाद गांगेय | आयुर्वेद, स्वास्थ्य | 25 MB | 50 |
पुस्तक से :
हर्र के पेड़ बड़े-बड़े होते हैं और इसकी गणना शाखी वृक्षों में है । इसकी लकड़ी बड़ी सुदृढ़ होती है, और इमारत आदि के लिए अच्छी होती है। हर के पत्ते बड़े-बड़े अडूसे के पत्तों के समान, दो दो पत्ते एक शाख में इधर-उधर लगते हैं और कुछ-कुछ लालिमा लिए हरे और रूखे होते हैं। फूल बहुत छोटे छोटे पीले रंग के होते हैं।
विजया हर्र विन्ध्याचल पर्वत पर, चेतकी हिमालय पर, पूतना सिन्धु नदी के किनारे, रोहिणी प्रत्येक स्थान में, अमृता और अभया चम्पारण्य देश में और जीवन्ती सौराष्ट्र प्रदेश में उत्पन्न होती है। तुम्बी के समान गोल विजया, साधारण गोल रोहिणी, बड़ी गुठली वाली सूक्ष्म पूतना अधिक गूदे वाली अमृता, पाँच रेखा युक्त अभया, सुवर्ण के वर्ण वाली जीवन्ती, तीन रेखा वाली चेतकी कही जाती है ।
दीपन, पाचन, अग्निवर्द्धक होने से हर अग्नि को दीप्त रखती है। कोष्ठबद्धता रोगों की जननी है । हर कब्ज को नष्ट करती है। अधिकांश कब्ज-नाशक औषधियाँ आमाशय को दुर्बल करती और आदी बनाती हैं, किन्तु हर आमाशय को सबल करती है और आदी नहीं बनाती ।
हर्र जब सूख जाती है तो ऊपर से खुरदरी सी दीखने लगती हैं और पाँच रेखासी जान पड़ती हैं। कुछ लोग अधसूखियों को तोड़ तोड़ कर धूप में डाल देते हैं, उस को हर्रा कहते हैं। प्रायः छीपी लोग उसे रँगाई के काम में लाते हैं। अपरि पक्व कच्ची छोटी छोटी बतियाँ जो पेड़ से झर जाती हैं, उन्हें सुखा लिया जाता है, उन्हें छोटी हर्र कहते हैं।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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