ताजिक नीलकंठी - रामचंद्र पाठक हिन्दी पुस्तक | Tajik Neelkanthi - Ram Chandra Pathak Hindi Book PDF


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ताजिक नीलकंठी हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Tajik Neelkanthi Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : ताजिक नीलकंठी | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : डॉ. रामचंद्र पाठक | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : चौखंभा संस्कृत भवन, वराणसी | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 312 MB है | इस पुस्तक में कुल 466 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "ताजिक नीलकंठी" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Tajik Neelkanthi | This book is written/edited by : Dr Ramchandra Pathak | This book is published by : Chaukhambha Sanskrit Bhavan, Varanasi | PDF file of this book is of size 312 MB approximately. This book has a total of 466 pages. Download link of the book "Tajik Neelkanthi" has been given further on this page from where you can download it for free.


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डॉ. रामचंद्र पाठकज्योतिष312 MB466



पुस्तक से : 

यदि यह आकर्षण रज्जू न रहे तो चन्द्रमा आदि ग्रह पृथ्वी की परिक्रमा वैसे नहीं करेंगे जैसे भिन्दिवाल में रस्सियोसे बँधा हुआ पत्थर का टुकड़ा करता है। वह बाँधने वाली रस्सी के आकर्षण के कारण ही चक्कर लगाता है। रस्सी के टूटते ही चक्करदार मार्गकी स्पर्शी दिशा में अतिवेग से भागता है।

 

इस प्रश्न का उत्तर यही है कि पृथ्वी उन्हें अपनी ओर आकर्षित करती है। पृथ्वीमें विद्यमान आकर्षणशक्ति ही उस वस्तु को धरती पर गिराती है। भारतीय आचार्य इसे इस भाषामें व्यक्त करते है कि सम्पूर्ण आकाशीय पिण्ड ब्रह्माण्ड के केन्द्रकी ओर आकृष्ट हो रहे हैं और वो केन्द्र इस पृथ्वी का मध्य बिन्दु है।

 

इस ब्रह्माण्ड को संचालित करने वाली एक ऐसी शक्ति है जो इस ब्रह्माण्ड के सभी पिण्डों को गतिशील करती है। जिसके कारण जगत् के क्रिया हुआ करते है। इस प्रसंगमें इस विषय पर विचार कर लेना उचित है। इस ब्रह्माण्डमें सर्वत्र ब्रह्मशक्ति विद्यमान है। ज्योति शास्त्र ग्रह नक्षत्रों का शास्त्र है। ये ब्रह्मशक्ति के बिना गतिमान नही हो सकते।

 

 

सूर्य उनकी गति के लिए नियत अभिनयका सूत्रधार है। सूर्य और सभी ग्रह आकर्षण शक्ति वाले हैं। कोपरनिकस ने ग्रहों के ऊपर सूर्य के प्रभाव की सत्यता को स्वीकृत किया है। ग्रह गति के विषयमें सूर्याकर्षण की नियत क्रियाशीलता केप्लर के तीनों नियमों में व्यक्त भी हुई हैं। केपलर स्वयं ऐसा मानते थे कि ग्रहोंकी गति सूर्य के द्वारा नियन्त्रित होती है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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