तुलसी और उसके सौ उपयोग हिन्दी पुस्तक | Tulsi Aur Uske Sau Upyog Hindi Book PDF

 

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तुलसी और उसके सौ उपयोग हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Tulsi Aur Uske Sau Upyog Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : तुलसी और उसके सौ उपयोग | इस ग्रन्थ के लेखक/संपादक है: काशीनाथ शर्मा | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : हिन्दी साहित्य मंडल, बनारस सिटी| इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 1 MB है | इस पुस्तक में कुल 58 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "तुलसी और उसके सौ उपयोग" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Tulsi Aur Uske Sau Upyog | Author/Editor of this book is : Kashinath Sharma | This book is published by : Hindi Sahitya Mandal, Banaras City | PDF file of this book is of size 1 MB approximately. This book has a total of 58 pages. Download link of the book "Tulsi Aur Uske Sau Upyog" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
काशीनाथ शर्माआयुर्वेद, स्वास्थ्य1 MB58



पुस्तक से : 

तुलसी विपिनस्थापि समन्तात्पावनंस्थलम् ।क्रोशमात्रं भवत्येव ग यस्येव पायसः ॥अर्थात्-तुलसीवृक्ष के चारों ओर एक कोस तक की भूमि गंगा-जल के समान पवित्र रहती है।

 

हमारे यहाँ तो तुलसी को पवित्र माना ही है, किन्तु पाश्चात्य लोग भी इसको पूज्य एवं पवित्र मानते हैं; क्योंकि ईसा के वधस्थान पर तुलसी के पौदे उत्पन्न हुए थे। आज कल भी ग्रीस में तुलसी के सम्मानार्थ 'सेंट वेलिस्डे' नामक उत्सव- दिन मनाया जाता है।

 

तुलसी सुरसा प्राम्या सुलभा बहुमंजरी। अपेत राक्षसी गौरी शूलनि देवदुन्दुभिः॥अर्थात्-तुलसी, सुरमा, ग्राम्या, सुलभा, बहुमंजरी, अपेत, राक्षसी, गौरी, शूलघ्नी और देवदुन्दुभि-यह तुलसी के संस्कृत नाम हैं। इनके अतिरिक्त भी तुलसी के यह अनेक नाम पुराणों में पाए जाते हैं। श्री, लक्ष्मी, यशस्विनी, धर्म्या, धर्मानना, देवी, देव, देवमनः प्रिय, प्रियसखी, अचला, आदि ।

 

 

तुलसी प्रायः सभी उष्ण और साधारण प्रान्तों में पाई जाती है। इसका पौधा एक से पाँच फीट तक ऊँचा होता है। जहाँ इसके बीज गिरते हैं, वर्षा ऋतु में वहीं वह अपने आप उत्पन्न हो जाते हैं। इस का अंकुर जब आठ-दस अंगुल का हो जाय, तब उसे किसी सुन्दर गमले में लगा लेना चाहिए। तुलसी धूप की अपेक्षा छाया में अधिक स्वस्था रहती है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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