शारदायनम ग्रन्थ पीडीऍफ़ | Sharadayanam Book PDF

   

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शारदायनम पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Sharadayanam Book



इस पुस्तक का नाम है : शारदायनम | इस ग्रन्थ के लेखक/संपादक है: प्रो. पी. एन. शास्त्री, प्रो. मनोज कुमार मिश्र, डॉ सतीश कुमार कपूर | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, जम्मू | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 452 MB है | इस पुस्तक में कुल 314 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "शारदायनम" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Sharadayanam | Author/Editor of this book is : Pro. P N Shastri, Pro. Manoj Kumar Mishra, Dr. Satish Kumar Kapoor | This book is published by : Rashtriya Sanskrit Sansthan, Jammu | PDF file of this book is of size 452 MB approximately. This book has a total of 314 pages. Download link of the book "Sharadayanam" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
प्रो. पी. एन. शास्त्रीधर्म, साहित्य452 MB314



पुस्तक से : 

काश्मीरपुरवासिन्याः मातुः शारदायाः पदतले देवभूमौ राष्ट्रियसंस्कृतसंस्थानस्य परिसरेष्वन्यतमः श्रीरणवीरपरिसरः राराज्यते। संस्कृतसाहित्यपारावारे तत्रापि शैवदर्शन- साहित्यशास्त्रयोः काश्मीराणां योगदानं सर्वविदितं वर्तते।

 

रघुकुलोद्भूतै रामभास्करवंशावतंसैर्महाराजैः परमवैष्णवैरत्र राष्ट्रे शैवदर्शनं समवर्धीति नतरां वक्तव्यमवशिष्यते । तादृशि राज्ये तद्दर्शनपरिचर्चा सङ्गच्छते हि नूनम् । उद्देशश्च परिपूर्यते राष्ट्रियसङ्गोष्ठीसमायोजनेन । गोष्ठ्यामस्यां नानाप्रान्तेभ्यो विद्वन्मतल्लिकाः समन्वीय शोभां समवर्धयन् शैवदर्शनविचारवैखरीभिर्मिथः शास्त्रार्थेश्च ।

 

हिमालयेषु मुकुटायमानं राराष्टि जम्मूकाश्मीरराज्यम् । काश्मीराश्च शोभन्तेतमां शास्त्राङ्गणे । किञ्च साहित्यशैवदर्शनयोर्नाम्नोर्गृहीतयोरादौ स्मृतिपटलं स्पृशन्ति काश्मीरा विद्वांसः तथा हि तेषामनुत्तमं वैभवं दरीदृश्यते । ज्ञानपिपासून् बहून् आचकर्ष राज्यमेतत्प्राक् । आचार्यशङ्कर रामानुजाचार्यादयोऽत्र समेत्य पवित्रधरामिमां प्राणमन् ।

 

 

शिवस्य रुद्रस्य वा उपासना वैदिककालतः प्रचलिता वर्तते। यजुर्वेदस्य शतरुद्रीयाध्यायः प्रसिद्धोऽस्ति तैत्तिरीयारण्यके इमं सम्पूर्ण विश्वं रुद्ररूपं मनुते श्वेताश्वेतरादिशु उपनिषत्सु महाभारते पुराणेषु च एतस्य महिमा मण्डिताऽस्ति शैवसम्प्रदायस्य मूलग्रन्थः शैवागम इत्युच्यते श्रीकण्ठेन एतानि आगमशास्त्राणि वेदवत् मन्यन्ते माधवाचार्येण शैवसिद्धान्तचतुष्ट्यस्य.

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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