वटुक भैरव पूजा हिन्दी पुस्तक | Vatuk Bhairav Pooja Hindi Book PDF

    

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वटुक भैरव पूजा हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Vatuk Bhairav Pooja Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : वटुक भैरव पूजा | इस ग्रन्थ के लेखक/संपादक है: ओमकारनाथ गंजू शास्त्री | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : अमरनाथ गुर्टू, गाजियाबाद | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 26 MB है | इस पुस्तक में कुल 116 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "वटुक भैरव पूजा" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Vatuk Bhairav Pooja | Author/Editor of this book is : Omkarnath Ganju Shastri | This book is published by : Amarnath Gurtu | PDF file of this book is of size 26 MB approximately. This book has a total of 116 pages. Download link of the book "Vatuk Bhairav Pooja" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
ओमकारनाथ गंजू शास्त्रीधर्म, तंत्र, भक्ति26 MB116



पुस्तक से : 

शिवरात्रि का उल्लेख कश्मीर के आगम ग्रन्थों में हर रात्रि का ही अधिकांश नामकरण आया है, संभवतः अपभ्रंश के कारण इसका मौलिक नाम चूक गया है। कश्मीर के इस चिरप्राचीन उत्सव का ऐतिहासिक साक्ष्य नीलमतपुराण, देशोपदेश, नर्ममाला, राजतरंगिणी, श्रीकण्ठचरित, जोनराज की राजतरंगिणी एवं कश्मीर के उत्तर मध्यकालीन फारसी ऐतिहासिक ग्रन्थोंमें भी आया है।

 

आज के इस दौड़धूप के जीवन में कुछ महानुभाव समयाभाव का झूठा बहाना करके इस पूजा को संक्षिप्त करना चाहते हैं। अगर दूसरे सांसारिक या गृहस्थी कार्यों के लिये उनके पास समय की कमी नहीं हैं, अगर नश्वर भौतिक पदार्थों की प्राप्ति के लिए वे समय निकाल सकते हैं, तो क्या इस पुण्यकार्य के लिये उनके पास समय नहीं है? क्या उस परमसत्तासे बढ़कर हमारे लिये और कोई महत्वपूर्ण कार्य है?

 

शिवरात्रि, हर रात्रि, हेरथ अथवा भैरवयाग कश्मीरी पंड़ित समाज का एक महान पर्व है। शिवरात्रि तान्त्रिक व्रत है। इस व्रत का नाम तंत्रशास्त्रों में हररात्रि, हेरथ या भैरवोत्सव पाया जाता है। परन्तु कश्मीर में यह व्रत शिवरात्रि नाम से प्रसिद्ध है। इस व्रत को भैरवोत्सव इसलिये कहा गया है क्योंकि इस दिन भैरव-भैरवी, वटुक और रमण नामक देवीपुत्रोंकी पूजा की जाती है।

 

 

ईसा की सोलहवीं सदी के पण्डित नन्दलाल रैणा ने अपने प्रशस्त ग्रन्थ "शिवरात्रि निर्णय" में इस पूजा के विविध सम्प्रदाय परक पद्धतियों पर प्रकाश डाला हैं. इस पूजा पद्धति में "अकुल-सम्प्रदाय" और "कुल-सम्प्रदाय" का भी विशेष महत्व रहा है। यही कारण है, कुछ परिवारों में पूजा पुरूष करता है और कुछ परिवारों में पूजा करने का अधिकार मात्र गृहिणी को है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


डाउनलोड लिंक :

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